इन्दिरा गांधी का पतन | Indira Gandhi Ka Patan

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Indira Gandhi Ka Patan by डी. आर. मानकेकर - D. R. Mankekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर्दा उठता है / 17 (प्रदो पर्सों की समाप्ति का विधेयक भी ले आइ | यद्यपि काग्रेस दल मे इस भारी ररा के पड़ने से पहले वे अधिक उदार एक कानून के पक्ष म थी जिसके अनुसार राजाओं के सिफ विशेषाधिकार ही समाप्त किए जाने थे । ऐसे जनदाती जौर वामपंथी उपायों से उहोंति लोकसभा के कम्युनिस्ट बौर वामी मुख सदस्यों को खुश किया और अगला आम चुनाव होने तक अपनी अत्पमत सरकार की स्थिति को बडी चालाकी से स्थिर बनाए रखा । 197 के चुनाव म वे भारी बहुमत के साथ आइ ओर तब उहोन उस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी शर्तें आरोपित करनी शुरू को जिस पर पिछली लोकसभा म अपनी सुरक्षा के लिए उ होन दीनताएूंवक निभर दिया था। अब 1975 मे एक बार फिर उनकी पीठ दीवार से लूग गई है और आत्म सरसण वी उनका प्रवत्ति पूरी तरह उभर कर ऊपर आ गई है। वस्तुत इस बार तो उद्दोने अपन ही पहले के करतबों तक को पीछे छोड़ दिया है और एक दु्दर्प साहस गौर अस्तित्वरक्षा के क्रोधो मत्त दूलनिश्चय के साथ ऐसा जवाबी आक्रमण व कर रही है जिसने उनके राजनीतिक विरोधियों को संन्न कर डाला है । इलाहाबाद क॑ फसने की खबर टिल्‍नी म प्रात 1015 पर पहुचती है। उसी दिन सध्या को आठ बजे तक श्रीमती गाधी इस निश्चय पर पहच जाती हैं बि चाहे कुछ भी हो उ हू अपने पद पर डटे रहना है । इसके बाद तो पीछे मुड्कर देखना नही है । पासा फेँवा जा चुका है । उनका भीतरी थुट बैठता है और रात में बहुत देर तंत्र उन विभिन संम्भावनाओ पर विचार करता है जो डटे रहने के निणय म स पैदा होती हैं । इस स्तर पर उनके सलाहकारी म प्रमुख हू पश्चिम बगाल के मुख्यमत्री सिद्धापशकर राय जोर बम्बई प्रतश वायरस वे प्रमुख रजनी परेल । पूरी तरह से नई युद्धनीति बनाई जाती है। इस साहसिक पडयत्र की मूल बात है दश में अतिरिक आपात हिव्ति बा लागू किया जाना । यह विचार सिद्धाथशकर राय के उपजाऊ मस्तिप्त मे पदा हुआ था और रजनी परेल में इसका पूरी तरह समयत किया था। इस समय तेत्र कानून मत्नी श्री एच ० आार० गोखते को इस गम्भोर विधय बारे मपूरी तरह अधर मे रया गया । वात म यह भी समाचार मिला कि श्रीमती इतिरा गाधी न इस उलसन भरी स्थिति स उबरन के ऐस आसान तरीके भर्चात बातरिक आपात स्थिति लागू बरन वी सम्भावना को खोज निकालने मे विफल रहन के लिए श्री गोल नी भत्मना भी वी थी वयोदित विधिमत्ली होने के नान यह काम तो उठी का था । बस्तुन प्रधानमत्री के इस अत्यत महत्वप्रण एक पसीय नियय क॑ बारे म पूरे मत्रिमडल का हा वाई लाने नहीं था प्रधानमत्नी था नम्वर ] सफररजग सांग स्थित बसता एक घिरे हुए क्लि का




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