वीर विनोद [भाग २] | Veer Vinod [Part २]
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29.62 MB
कुल पष्ठ :
361
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाराणा आरितिंह- ३ ] वीरविनोद | राज्यानिषेक-१५४६३ शक रस मर मससस््मंंंयधधरमरधरससस्सससरसर ्द्छ द ः भ्स ) के. कर... जग... कि (मु (न अगि एन शत कर्क हि 2६६-७८८८ ८८०८८ वह फुधु १४९१६ 2९९ है बुफ४ रु य मेन नर अर नि अररऋ मे 2 . 55555555555555 फनानिप िरवका एम शपरररसरवरररटीटीडटिटटटटएएं बला ः शी प्र महाराणा आरिसिह-. ३ है 2 | ं जब महाराणा राजसिंहका देहान्त इुआआ . तो एक दस कठ रियासतमें सन्नाटा | होगया और अत्यन्त शोक पैदा हुआ क्योंकि इनकी उस बहुत कम याने सचरह | वषकी थी ओर उस जमानहमें राजपूतानहपर मरहटोंका जोर झोर बढ़-रहा था । ऐसी हाठतमें अचानक सुरकी सहारा नष्ट होगया सब सर्दौर उमराव अहल्कार एकट्ठे हो- ॥ कर महाराणाकी उत्तर क्रियाके वाद जुनानी ड्योढ़ीपर गये च्जौर महाराणा राजसिंहकी माता ) तववाणयकाका पाया 2 20... वायाुमावलयकााणपामाणाााण | कन्न्य2० म किन था. हि कच विंसे है की कद या हलक गा वपदधगिद.नि ..ण्यि न ीलिविॉनिजयुलि-लिक #पिदधमिय .. लि दनिदनधालताा्नियनिपिपिडलटलनयददर्थििय््ि अैलिक- दाद अिद..या.धनियददधी अदनदान्निफविद यद्धात याकयि ..मिद.लिकिचयद-.िदयनियद्धनियदधना सारा फिक्स ाीटटारटाररएएटटटटटटटएटटीटल रामलाल हा | ( बाइंजीराज ) को कहलाया कि आपके पुत्रकी बहू झाठीजीकों गर्भ हो तो हम सब आपके हुक्मस रहकर घ्रागट्य तक रियासतका काम चठावें. अगर कंबर हुआ तो हमारा मालिक है मेवाइका राज्य करेगा आर बेटी हुई तो अच्छे खानदानसें विवाह दी जावेगी. यह निवेदन सुनकर बाइजीराजने कहठाया कि बहूके गभ नहीं हे तुम राजका हकदार हो उसे गद्दीपर बिठा (१ ) दो. उसवक्त महाराशा जगतसिंह टूसरेके छोटे पत्र अरिसिंह ( २) मोजूद थे इनको सब ठोगोंने सिठकर गद्दीपर बिठादिया अर दस्तरके संवाफिक नजर निछावर वगेरह रस्में अदा कीं न | कण कं नव दया बना की नए णएयतएं। ये पदों सा साल दानव नयायायदद्ूिि न पद नल ाययययानण यदि या पद पाया. यानी दर. नए... वर दाना निया नल ज्रगन्याम्मयाग्य भग्यद्यान्य्ान हरा ( ३ ) पूजनेके बाद महाराणा अ्परिसिंह एकलिंगेश्वरके दर्शनको गये छोटते वक्त उक्त महाराणा जवानीके नशेमें चूर घोड़ा दौड़ाते हुए उदयपुरकी तरफ़ च्यारहे थे चारवाके घाटेम सवार आर सदारोका बड़ा इुजूम जा रहा था रास्तह . तंग होनेके सबब इघर उधर हटने और बचनेकी जगह नहीं थी. महाराणाने कुछ खुयाठ न किया बडिकि छड़ोदार व जठेबदारोकों हुक्म दिया कि एक दम सबको हटाकर रास्तह् साफ़ करो... साठिककी तेज मिजाजीके खौफसे उन ोगोंने उमराव व सदारोंकों ठठुकारकर कहा कि रास्तह्द छोड़ो ?. परन्तु पहाड़ी. रास्तेकी तंगीसे सब लाचार थे उन छोटे ठोगोाने उमराबोंके घोडोंके पट्टोंपर दो चार छडियां भी मार दीं.. इसवक्त तो सब (9१) सुनागया हैं के राणी झारढाीकों गम था सगर खूफसे बाइजीराजने इनकार कराइया क (२ ) गद्दी तज्वीज होनेकें वक्त महाराज अरिसिंहने जनानेमें जाकर अजे किया कि सझको राज्यफा लोभ नहीं है अगर झालीजीके गभ हो तो कहना चाहिये पत्र हुआ तो मेरा मालिक होगा ओर कन्या हुड्ठ तो 1ववाह करा दियाजायंगा इसपर भी धाइजीराजने वहीं जवाब दिया जो कि सदारोंते कहा था ः (३) महाराणा गद्दी नशीनीके बाद शोक निवत्यथ बड़ी धूम धामसे दाहरके बाहर सब्जी | छू ( दरियाली ) पूजने को किसी जगहपर जाते हैं जो हरीकी सवारी मदहूर हे ७ एमवागनवायापाा कफ फफकप्यापफापफणपा प्याज 09570 |विलायापीनदाक काााालााकियाासािर2िधकदल-वि साला ाकिचा पिपीक्धला या धााला्ियालिललललयााेद परिययधधनिगदीचापि्कुल/चाद पिविपकनी-ला-का-यकायाकीन वायदा. कवि कवि दाम कक कया्ीन नानक कि... किक गा ना काका कनककगा नीला लटक एटलशलॉटटसलसटाशन
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