मनुष्य का भाग्य | Manushya Ka Bhagya
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.15 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अतरां पर जी उसे मनुष्य च्नाते हु डुद् प्रकाश प विश्व चे विकास का आाद्योपान्त अव्ययन इनारे लिए आवश्यक हो इम यह न भूले कि दमारे निरीक्षण हमारे मस्तिष्क की निर्देशन-व्यदस्था के कारण विक्ञत मी हो सकने हैं। जब हम किसी अपरिचित देश में पहुँचते हैं और इमारो इच्छा दर्हीं दी उर्थ-व्यचस्था सामाजिक जीवन तथा नैद्धिक जौवन के अध्ययन की होती हैं तो हम वहीं के नैतर्गिक ठाधनों उद्योग परम्पराओं भावनाओं व्यापार वैज्ञानिक और कला-मक रचनाओं तथा वहीँ की शिक्षा और घर्म का अध्ययन करते हैं। इसके लिए इन छोटे-बड़े सभी पहलुआ भौतिक स्थितियों तथा नैतिक कारणों पर ब्चार करते हैं। यदि दम ऐसा नहीं नग्ते तो वहीं का चित्र अशुद्ध होगा भपूर्ण दोगा पाठक इस घ्रात को न भूल कि तथाझथधित स्वतंत्र भोतिकवादी विचारक जो स्वतंत्र इच्छा को स्वीकार नहीं करते--इस घात का दादा करते हैं कि बौद्धिक चिन्तन उन्हीं का है और उनके विश्वास विज्ञान पर आधारित हैं। या तो हम उनकी बातों को विना छान-वीन किए स्तरीक्कार कर्ले अथवा उन्हें चुनौती दें। अगर हम चुनीती देना पसन्द करते हैं तो दमे अपनी धारगाओं दो ठोस चुनियाद पर स्थापित करना होना और इसके लिए. हने विज्ञान की मीलिय बुनियादों की छानवीन करनी होगी तभी हम मातिझुवादी चिन्तन की कम- जोस्णि को खोज पायेंगे । लेलिन इन लिए दम चनानिक तथ्यों वा दही नहीं चल्कि वैज्ञानिक चिन्तन का भी समालंत्वनाच्मक विश्लेषण करना होना । प्रस्तुत अध्याय का यहीं दिपय है| विज्ञान का उद्देश्ण जैसा कि लोग चमसते हैं समकना नहीं हैं चब्कि भविष्यड्शन करना है। विज्ञान घटनाओं. च्लुओं झोर तथ्यों का चूमता वर्णन न्रता है और उन्हें उन सामान्य नियमों द्वारा जोड़ता है जिन्टें दम वैज्ञानिक निस्म कहते हैं। इस प्रहार आगे साने चाली घटनाओं के सम्च्न्च में भविव्ययाणी न्रता हैं । उदारग्ग के लिए ज्मेतियशान्त्र विश्व में नक्षत्री की गति का अध्ययन करता है जिमले फलत्वरुप इन नक्षतों की स्थिति का हिसा5 लगाने और भविष्य में उनकी स्थिति ब्य ज्ञान भाप्त करने में सहायता मिलती है। नभत्र-स्थिति-दर्शक (िधाएदा।णाए नाम ने उदुमुत यन्त्र का निर्माण किया गया है जो नक्षत्रों की गति का त्रिकाल दर्शन कराता हैं। था थे द् ग््रू
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