नयचक्रसार अने गुरुगुण छत्रीशी | Nay Chakrasar Ane Gurugun Chatrishi
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.4 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वकील मोहनलाल हीमचन्द - Vakil Mohanlal Heimchand
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नयचक्रसार शर्ट ओछलावे हे. ए पीठिका कही व मूलखुनना अ््जुं व्या- रयान करे हे श्रीवद्धमानमानम्य स्वपराचुप्रहाय च ॥ करियते तत्त्ववोधार्थ पदार्थानुगमो सया ॥१॥ अथ ॥ श्रीके०युणनी शोभा अतिशय शोभायें विरानमान एहवा श्रीवद्धेमान अरिदत शासनना नायक ते प्रते अत्यन्तपणे नमीने-नमस्कार करीने पोतानों मान मूकी चरण योग समावी गुणीने अनुयायी चेतनानु कु तेने नम कहियें ते पण स्पफे०पोताने अने पर जे शिप्य अथवा श्रोतादिकने अनुग्रहके० उपकारने सारु तसवके० यथाये वस्तुधर्म तेने वोधके० जाणवाने अप पदायके० घर्मास्तिफायादिक छ मूलद्रव्य तेनो अनुगमक्ते० साचों मरुपकों हे क्रिपते के० करियें छय जगदमां मर्ताद्रीओ द्रव्यने अनेकपणे कहे छे हिहदं ने यायिक साल पदा्थे फे ठे वेशेपिक सात पदाये कहे छे घेदाति सांरिय एक पदार्थ कहे छे मीमासक पांच पदार्थ कहे डे पण ते से मिश्या छे. वेणे पदायनु स्वरूप नाप्युँ नथी जने श्रीअर्द्त स्वर प्त्यक्तहानी ते एक जीव अने पांच अजीय ए रीते छ पदार्थ कहे ठे इ्दा केाई पूछे जे नयनत्तरूप नव पदार्प कथा छे है केम ? तेने उत्तर जे। एक जीव थीजों अजीब ए ये पाप तो मूल छे अने शेप सात तथ्त तो जीय अजीवनो साथफ चाघर शुद्ध अशुद्ध परिणतिनी अवस्था भिन्न ओलखराने फरया छे च्घु
User Reviews
No Reviews | Add Yours...