वादा | Waadaa

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Book Image : वादा  - Waadaa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वादा रंगीन सोने के सूद में किसी ए से ही अभिनय-हृश्य में एक सिनेसा-स्टार जैसी खूबसूरत दीख रही थी । सिनेमा-जगत्‌ सी उसकी टूठी हुई उम्मीदों की एक दुनिया थी । उसे अभिनय की विभिन्‍न मुद्राओं में अपने आपको किसी एकान्त शीशे में देखने का झाब भी वड़ा शौक था । वह अक्सर यह देखने का ग्रयस्त करती कि असुक मुद्रा में अगर वह खुद हुई होती तो कैसी लगती । वह शीशे में जब झपनी गदन की शोभा पर गोर कर रही थी तभी एकाएक उसे उस हार की याद फिर आई । उसने अपनी कल्पना में देखा वह हार उसकी गोरी रन में भी उतना ही सुन्दर लग रहा था जितना कि उस नवयुवती की गदन में । उसने हार की कीमत का एक बार फिर अन्दाजा लगाया फिर उसने उसमें से सौ रुपये घटा कर देखा--बहुत थोड़े और रुपयों की कमी पड़ रही थी । उसकी आँखें एक नई आशा से चमक उठीं । परन्तु बत्ती हुमा कर बिस्तर पर लौटते हुए उसका हृदय फिर एक शंका से डॉवाडोल हुझ्ा--कितने भुलकड़ दिमाग चालों को भी कोई-कोई मामूली चीज़ इस तरझ याद रहती है जैसे उसकी याददाश्त अब उनके जीवन के साथ ही जायेगी | एक रेवा ( उसकी एक शिष्या ) का उदाहरण उसके सामने मौजूद था । वद् बहुत-सी बातों को खास कर अपनी पढ़ाई और पैसों के सम्बन्ध में तो इस तरह भूल जाती थी जैसे वह चौददद ]




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