वंश भास्कर भाग 3 | Vansh Bhaskar Vol. 3

Vansh Bhaskar Vol. 3 by चन्द्र प्रकाश देवल - Chandra Prakash Deval

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४... 4 ८ . महमूद नूह और सगर के बादशाह ईलक का वृत्तान्त। . महमूद का लौट कर आना और जयपाल को पठंता के गढ़ में रखना। . महमूद गौरी का फिर से आकर सोमनाथ महादेव के लिंग विग्रह को तोड़ना नहीं तोड़ने कौ पेशकश में यहां के राजाओं का आठ करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव करना पर महमूद का नहीं मानना । . सोलंको विजयपाल शूरराज यादव कर्मसेन नारायण मूलराज झाला धीर चहुवान रणधवल जयदेव प्रमार शत्रुशल्य गोहिल चन्द्रसेन आदि राजाओं के समूह सहित पचास हजार आयोँ का युद्ध में मरना और महमूद का मंदिर के किवाड़ों और मूर्ति से मणियां रत्त आदि निकाल कर गजनो ले जाना। १३९... तीसवाँ मयूख २२१६ रे. रे चहुवान वंश वर्णन में राजा मंडल के पुत्र का विवाह करना राजा आत्माराम के दो पुत्र आनन्दराज और जयराज का जन्म आनन्दराज का राजा बनना। चित्तौड़गढ़ के स्वामी तेजसिंह के पुत्र ग़वल समरसिंह का जन्म इसके बत्तीस वर्ष बाद चहुवान राजा सोमेश्वर के यहाँ पृथ्वीराज का जन्म । . शहाबुद्दीन गौरी का गजनी कौ गद्दी पर बैठना कन्नौज के राजा विजयचन्द्र के पुत्र जयचन्द्र राठौड़ का कन्नौज का स्वामी होना प्रतिहार राजा नाहरराज द्वारा पुष्कर के तीर्थ में चांदी की सीढ़ियाँ लगाना । ४. हाडा राजा आनन्दराज के हम्मीर और गंभीर नामक दो पुत्रों का जन्म हम्मीर का नैणवा का राज लेना राजा अनंगपाल का अपने दौहित्र पृथ्वीराज को दिल्‍ली का राज सौंपना पर पृथ्वीराज का दिल्‍ली की गद्दी पर अपने पिता को बैठाना। ५. पृथ्वीराज चहुवान का यादव हाहुलीराज गंभीर की पुत्री से विवाह करना और अपने भावी श्वसुर सारंगदेव को मेवात भेज कर वहाँ के मुगल शासक को बंदी बनाना।




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