केंट मेटिरिया मेडिका | Kent Matiria Medica

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Book Image : केंट मेटिरिया मेडिका  - Kent Matiria Medica

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ केण्ट मेटिरिया-मेडिका सर-दर्द रक्त-सझ्ययी प्रकृतिका होता है, साथ ही रक्त ऊपरकी और चढ़ता है! मरापन और तनावका भाव रहता है, साथ ही चेहरा लाल, आाँखोंमें पूर्णवा और तनाव | गर्वनकी पूर्णता |. हस्पिण्डका धढ़कना । आाँखका ढेला वाहर निकलनेवाला घेषा, दवावसे सर-दर्द घट जाता है । शिराओंको सहारा मिलनेंके लिये फेरम दवाव चाहता है। हथोड़ी मारनेकी तरह सरसें धमक । प्रत्येक वेगकी गति सर-ददंकों वढ़ा देता है। खाँसनेपर सर-दर्द बढ़ता है । खाँसनेपर पदचात्‌ मस्तक और मस्तकमें दर । धीरे- धीरे टहलनेपर दर्द कभी-कभी उपशम हो जाता है। सोढ़ी चढ़ना, नीचे बैठना, अपनी जगहसे उठना--जवतक की खूब मनोयोगसे नहीं होता--फेरमकी सब वीमारियोंको बढ़ा देगा। कोई भी आकस्मिक गति हथीड़ी मारनेकी तरह दर्द और माथा फ्रैलनेका भाव उतन्न कर देगी । इसके वाद छुछ-न-कुछ खोंचा मारने या फाड़नेकी तरह दर्द पैदा हो जायगा | उठनेपर या खाँसनेसे माथेके पिछले भागमें आधात ; क्योंकि खाँसना एक आकस्मिक गति है। हथोड़ीकों चोटकी तरह सर-दर्दके साथ चित्त-विभ्रूम ।. मानें खूनका दौरान हो जाना, उत्तेजनासे रक्त-सश्चयी सर-द्द ; सर्दी लग जानेपर, हवा लगनेपर, जो तीन दिन, चार दिन, या एक सप्ताहतक रहता है। चेहरा तमतमाया रहता है दर शायद ठण्डा रहता है, माथा कुछ गम रहता है ; पर उतना गर्म नहीं जितचेकी थाशा की जाती है । आँखोंमें लाली -रक्तवाहिनियाँ रक्तसे भरी, बहुत कमजोरी, इवास-कष्ट और कलेजा घड़कना ।. लिखना एक मानसिक काय है-इतसे टुवारा सर-दर्व पैदा हो जाता है | मस्तक त्वचामें अनुुभवाधिकय । रोगीको अपने केश लटकायवे रखने पढ़ते हैं। रक्त- लावके साथ या वाद अथवा सूतिका-ग्रहकी खियोंको मानसिक विश्रज्नलता और सर-दर्द । आँखोंके चारों ओर फला-फुला |. रक्तस्वयके कारण सब तरहका दृ्टि-विभ्रम, शिराओंका रुकना, पलकॉका फ़रूलना, पीघकी तरह ल्ाव, थावाजका वहुत ल्यादा अनुभव होना, कानमें वाजा वजनेकी थावाज । . नाकके लक्षण भी बहुत ज्यादा हैं । सर्दी थौर इललेप्मिक-झ्विल्लीके प्रदाहके उपसर्ग जिनका अन्त नाकसे रक्त-साव होकर होता है। जरा भी उत्तेजना मिलनेपर नाकसे रक्त- साव होता है, साथ ही ऋतु-ख्ावके समय सर-दर्द, नांकसे पपड़ी निकलना ! चेहरेका बहुत ज़्यादा पीलापन, थोड़े भी भावोद्रेकपर चेहरा लाल तथा तमतमाया हो जाता है । निश्न अड्ठीके शोथके साथ तमतमाया चेहरा । शीतके साथ तमतमाया चेहरा । शीघ्षके साथ प्यास फेरमका एक आशइचर्जजनक स्रूप है । मासिक अऋतु-लावके समय प्रचण्ड दर होता है और ज्योही दर्द आरम्भ होता है, लोही चेहरा तमतमा छठवा है । पाकाशय्में जो कुछ जाता है वह नहीं पचता थर इतनेपर भी खास मिचली नहीं रहती । फेरममें मिचली प्राप्त होना तो एक अपवाद है । खाद्य पाकाशयमें जाता है तथा वगेर मिचलीके ही निकल आता है--केवल खाली कर देता है । कभी-कभी सुँहमें अन्न भर आनेके 'साथ फास्फोरसकी तरह डकार आती है । सुँहभर अन्न झाकर पेट खाली हो जानेकी प्रराने चिकित्सकॉको फास्फोरस ही दवा थी । राक्षसी भुख। पाव्य-भ्रन्थमें लिखा है--




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