भारत भ्रमण भाग चतुर्थ | Bharat Bhraman bhag chaturth

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Bharat Bhraman bhag chaturth by साधु चरण प्रसाद - Sadhu Charan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व है रायपुर-१८९३ (८६५९ नाम २० ज्ञानीनाम २१ हंसमाणिनास रे२ सुकूतनाम २३ अग्रमणिनाम २४ रहस्यनास २५ ग़्मणिनाम ९६ पारसनाम २७ जामतनाम २८ गज्ञामणिनाम २९ अकहनास ३० कण्ठमणिनाम ३१ सन्तोषनाम ३९ चातकनाम ३३ धनीनाम ३४ नेहनाम ३५ आदिनाम ५६ महानाम ३७ निजनाम ३८ साहवनाम ३९ उद्धवनाम ४० केतनाम ४१ इगमणिनाम और ४९ विज्ञानीनाम । इनमें ११ वंश होंगये । दूदवें बेदके प्रकटनामसाहबके रहते हुए उनके पुत्र ११ वाँ बैश धीरजनामसादबनका देहान्त होगया था । श्रकटनामसाहबकी सत्य ोनेपर उनके भतीजे और धीरजनामसाहबके पुत्र मुकुन्दीजीसे कबरदृदकी गद्दी पर १९ वाँ वेश उधनाम वननेके छिये अदाठत हो रही है । प्रकटनामसाहबका भतीजा कहता है कि मुकुन्दीजी धीरजनाम साहघकी विवाहिता स्रीका पुत्र नहीं हैं यदद क्यो गद्दीका अधिकारी होगा । कुद्रमाछका महन्त विश्वनाथदास सुझुन्दीजीके पक्षपर और कबरदृह्द वाले लोग भतीजेकी ओर हैं । भतीजेकी जीत हुई है। . मध्यदेशमं खास करके विलासपुर रायपुर और छिंदवाड़ा जिलेमे कवीरपंथी बहुत हैं। सन्‌ १८८१ की मनुष्य-गणनाके समय सध्यदेशसे ३४७९९४ कवीरपंथी थे । बेशा घरानेके कवीरपंथी साधुओंके लिये विवाह करनेका निषेध नही है। मध्य- देशके प्रायः सब कबीरपंथी विवाह करते हैं । किन्तु बेदा घरानेके अनेक साधु आदुरके छिये अपना विवाह नहीं करते । रायपुर । बिलासपुरसे ३८ मीठ ( आसनसोढ जंक्शनसे ४३९ मींढछ ) पश्चिम-दृक्षिण राय- पुरका रेलवे स्टेशन । मध्यदेशके छत्तीसगढ़ विभागमें ( २१ अंश १५ कला उत्तर अक्षांश और ८१ अंश ४१ कला पूर्व देशान्तरमें ) रेखवे स्टेशनसे एक सीछ दूर छत्तीसगढ़ विभाग और रायपुर जिठेका सदर स्थान और जिलेमें प्रधान कसवा रायपुर हैं । एक सडक साग- पुरसे रायपुर सम्भछपुर और मेदनीपुर दोकर कठकत्तेको गई है । सन्‌ १८९१ की मनुष्य-गणनाके समय फौजी छावनीके साथ रायपुर कसवेमें २३७५९ मनुष्य थे अर्थात्‌ १९०१३ हिन्दू ३६२३ मुसढमान ५२८ एनिसि- स्टिक ३०० जैन २७९ कृस्तान २१ यहूदी और २ पारसी । मनुष्य संख्याके अनुसार यह मध्यदेश् ६ वां. शहर है । रेखवे स्टेशनसे १ मीठ दूर कसवेके पास ऋषीराम मारवाड़ीकी पुरानी धर्मशाठा है जिसका भाग उजड़ गया है । धर्मशाेसे दक्षिण गोछ नामक चौकमें छोटी छोटी दुकानोंके. ४ चौरूँटे बाजार हैं । गोल चौकसे दृक्षिण २ मीछठ लम्बी १ पक्की सड़क है जिसके बग- ठोंगे बहुतेरे बड़े मकान और कपड़े वर्तन इत्यादिकी दुकाने बनी है । कसवेमें १७ वीं सदीका बना हुआ पत्थरका कंकाली ताढाब हैं जिसको सहन्त कुपाठगिरने बनवाया था | उसमें अब छोगि कपड़े घोते हैं । रायपुरमें जल कछ सर्वत्र छगी हैं और प्रधान सड़कों पर सात्रिमे छालटेने जठती हैं । कसबेके चारों ओर अनेक ताछाव और वहुतेरे आम इत्यादि दृक्षोंके बाग है और उसके पास एक पुराना जजर किला देख पडता है जिसको सन्‌ १४६० हमें राजा भुवने- न




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