नादिरशाह | Nadirshah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.98 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)<_उडिमिरदिरशाह लि, ; हू
ूब्यें ही; भर्थात्त १७४१ में हुआ था, इस वातकी कहीं भी चर्चा
लही पायी जाती है !
छाख््यर्यकी चात तो यदद है, कि जहाँ शोस़ अछी हाजी
तथा मिर्जा मेद्दोसे लेकर नादिस्शाहके आज तकक्ते सभी
जोवनी-लेकोंने प्रायः सब्च-सम्मतिसे इस बातकों सलीच्ार
क्तिय्ा है, कि अपने प्रकत-पिता इमाम छुली वेगकी खुत्युके पश्धाद्
सछात गढ़के अधिकारी 'दावा कुठी देग'ने नादिरकी माँसे
निकाह कर, नादिरको अपने साथ रख लिया, वहाँ जेस्त फोज़र-
इत 'दिस्ट्री आफ़ नादिर्शाह' में दस वातकी कददीं चर्चा तक
नहीं । उसने वावा कुछी वेगको हो नादिरका प्रकृत पिता छिया
है और चददींसे उसकी जीवनी आरम्म की है। इससे मालूम
होता है, कि नादिरशाहके मूल-चंशके सम्बन्ध उसे तनिक भी
ज्ञान नहीं था और न कभी उस ओर उसका ध्यानही गया । यदि
ऐसी वात नहीं होती, अर्थात् यदि वह जानता होता, कि फ़ारसी
साषाकी,नादिरशाहके सम्चन्धमों प्रायः सारी तचारी छोंमें, ना दिरिका
बावा कुछी चेगका दुत्तक-पुन्न होना लिखा हुआ है, तो कम-से-
कम; लरुडन-स्वरूपमें हो सदी, उसने इस वातका ज़िक्र तो ज़रूर
कर दिया होता । पर यह ध्यानमें रखते हुए, कि नादिरशाहके
सम्वन्धमें उसकी 'हिस्ट्री' एक वहुत पुरानी और, अद्भरेज़ी भाषासें
सचे-प्रथम पुस्तक है , उसका यह 'मौनाचठम्बन' छस्य है।
परशियाके बादशाह शाह इस्माइल शफ़ी' के राजत्व+
कालमें तुरकोंकी सात जातियाँ, तुरस्कसे निकठकर खुश-
सान-घानतमें चली भायी थीं । उन्दीं सात जातियोंमें 'अफ-
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