नादिरशाह | Nadirshah

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Nadirshah by मथुराप्रसाद दीक्षित - Mathura Prasad Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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<_उडिमिरदिरशाह लि, ; हू ूब्यें ही; भर्थात्त १७४१ में हुआ था, इस वातकी कहीं भी चर्चा लही पायी जाती है ! छाख््यर्यकी चात तो यदद है, कि जहाँ शोस़ अछी हाजी तथा मिर्जा मेद्दोसे लेकर नादिस्शाहके आज तकक्ते सभी जोवनी-लेकोंने प्रायः सब्च-सम्मतिसे इस बातकों सलीच्ार क्तिय्ा है, कि अपने प्रकत-पिता इमाम छुली वेगकी खुत्युके पश्धाद्‌ सछात गढ़के अधिकारी 'दावा कुठी देग'ने नादिरकी माँसे निकाह कर, नादिरको अपने साथ रख लिया, वहाँ जेस्त फोज़र- इत 'दिस्ट्री आफ़ नादिर्शाह' में दस वातकी कददीं चर्चा तक नहीं । उसने वावा कुछी वेगको हो नादिरका प्रकृत पिता छिया है और चददींसे उसकी जीवनी आरम्म की है। इससे मालूम होता है, कि नादिरशाहके मूल-चंशके सम्बन्ध उसे तनिक भी ज्ञान नहीं था और न कभी उस ओर उसका ध्यानही गया । यदि ऐसी वात नहीं होती, अर्थात्‌ यदि वह जानता होता, कि फ़ारसी साषाकी,नादिरशाहके सम्चन्धमों प्रायः सारी तचारी छोंमें, ना दिरिका बावा कुछी चेगका दुत्तक-पुन्न होना लिखा हुआ है, तो कम-से- कम; लरुडन-स्वरूपमें हो सदी, उसने इस वातका ज़िक्र तो ज़रूर कर दिया होता । पर यह ध्यानमें रखते हुए, कि नादिरशाहके सम्वन्धमें उसकी 'हिस्ट्री' एक वहुत पुरानी और, अद्भरेज़ी भाषासें सचे-प्रथम पुस्तक है , उसका यह 'मौनाचठम्बन' छस्य है। परशियाके बादशाह शाह इस्माइल शफ़ी' के राजत्व+ कालमें तुरकोंकी सात जातियाँ, तुरस्कसे निकठकर खुश- सान-घानतमें चली भायी थीं । उन्दीं सात जातियोंमें 'अफ-




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