पाली प्रबोध | Pali Prabodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.07 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं आद्यादत्त ठाकुर - Pt. Aadyadatt Thakur
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पाठी-प्रबोध
हे
क् _..... बण-विभाग
- चेदिक भाषा में ३४ श्रन्नर माने गए हैं । यदद संगलया शने:-झनें; कम
डोतो गईं | व्तंमान संस्कृत में ५० हो गई | पाली तक पहुंचने
'पहुँचते वद्द सख्या श्रोर मी क्षीणा दो गई |
स्व॒र--पाली मे केवल झ्ाठ स्वर पाए जाते हैं | यथा--श्र, प्रा, इ,
ई,ड, ऊ, ए.श्रौर श्रो।
ऋकार के स्थान में कहीं श्र, कटी द श्रीर कहीं उ होते हैं ।
उदाहरणाथ ऋ के स्थान में श्र का प्रयोगन--गहे-टपद्द ; नत्य्नघ ।
ऋ के स्थान में इ--ऋणमूलइश; सरिलिसि, श्गटर्तिंग |
शऋ के स्थान में उ--श्तनउद ; ऋषभटउसभो ।
लुकार का प्रयोग तो सस्कृत में दी शहुत विर्ल हे. पाली में हो
उसका सरवेधा अभाव दे ।
ऐ श्रौर श्री भी पाली में नहीं पाए. जाते ।
ऐ के स्थान में प्रायः ए मिलता दें । यधा-- ऐंरावर-रगावगो;
'बेमानिक्टरेमानिक , वयाकरण--गेय्याकरण |
कहीं-कहदीं ऐ के स्थान में डकार तथा इंकार देग्व जाने हैं | यधा--
ब्रेवेय॑ >> गीवेय्यं ; लेघव'-सिधवो । खो के रमन में शपिफतर
झो देखा जाता दे । यया--
श््रौद रिक.-> प्रोद रिफः ६ दौवारिकध-दोवा रिफो ।
कईी-कट्टीं 3 भी देखा जाता है । यप'--मछिंरसमु्ि ३
शौद्धत्य॑-रउद्धत्य ।
जे न्न न
User Reviews
No Reviews | Add Yours...