सामान्य समाजशास्त्र | Samanya Samajshastra

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Samanya Samajshastra by डॉ. ओमप्रकाश जोशी - Dr. Omprakash Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 सामान्य समाजशास्म का जन्म हुमा जिन्होंने वैभव, विलासिंदा, श्रौर उपभोग की सस्कूति का विरोध किया । समाजशास्त्रीय क्षेत्र मे इस वात वा विरोध किया जाने लगा कि केवल श्रॉँकडे एकत्र करना श्रौर नई पद्धतिपाँ दिकसित करना ही सब कुछ नहीं है । इस बात पर वल दिया जाने लगा कि सामाजिक यवायें को समभने का प्रयत्त करना होगा क्योकि हम झभी इस स्थिति से बहुत दूर हैं । समाजशास्त्रीय ध्रत्वेपण को एक नया भोड़ दिया गया श्रौर यह कहा जाने लगा कि यहाँ एक नवीन समाजशाहन का निर्माण श्रावश्यक है जो मानवतायादी पहलुमों को लेवर चले, सामाजिक यथाथ॑ को समझने, समभाने मे सहायक हो । इसीलिए मानवतावादी समाजशास्त्र का पोपण किया गया जिसके अन्तर्गत इस बात पर बल दिया जाता है कि समाज- शास्नीय ज्ञान को सामाजिक पुतरुत्थान के कार्य मे लगाना चाहिए, शोपित प्रौर निम्न वर्ग के लोगों के लाभ के लिए इस ज्ञान का उपयोग किया जाना चाहिए । समाजशास्त्र को वेघने की प्रवृत्ति को हतोत्साहिन किया जाना चाहिए। समाज शास्थियो को यह भ्रनुभव करना चाहिए कि विज्ञानवाद ने हमारी सस्कति को शितना घबका पहुंचाया है । समाजशास्नियों में एक ऐसी जिज्ञासा पैदा होनी चाहिए को बन्द किंवाड़ो में कॉक सकें ।' समाजशास्त्रीय सवेदना श्रौर समाजशास्त्रीय परि- कल्पना के श्राघार पर समाज को समभना झावश्यक है । मानवतावादी समाजशास्त्र को माँग है कि समानुभूति (हप०९0 ), अन्त ज्ञान (घए/क00) श्रादि तरीकों स सामाजिक घटनाय़ो को समभने का प्रयास किया जाए 1 इस सम्पूर्ण विवेचन के निष्कर्ष रूप मे हम कह सकते है कि समाजशास्त्रीय श्रन्वेषण की प्रकृति [ऐ8(परा८ 0. इ०८ा०08८81 छिववृण्तज) मानविकी एवं बैज्ञानिक दोनो रही है । दोनो ही दृष्टिकोण या उपागम परस्पर बिल्तुल भिन्न है । तथापि दोनो ही हप्टिकोणों का समुचित समन्वय ही समाजशास्नीय प्रस्वेपण को सही दिशा मे ले जा सकता है । प्रारम्भ से पिछले पाँच-छ द्शत्रों तक समाजशास्यर को विज्ञान के रूप मे ही प्रस्थापित बिए जाने का प्रयत्न रहा । लेक्नि तत्पश्चातू मानविकी या. मानवतावादी समाजशास्त्र का विकास होने लगा प्रौर थ्राज यह विचारघारा सोकप्रिय बनती जा रही है । कया समाजशास्त्र एक विज्ञान है ? (15 50लंगे०छूड 8 उलंहाए९ ?) समाजशास्नीय भ्न्वेपण की प्रकृति के सन्दभं मे हमने समाजशास्त्र की बैज्ञातिकता के सम्बन्ध में सॉकितिक और अ्रप्रत्यक्ष विवेचन किया है 1 सम!जशास््रीय झ्न्वेवण की म्कति के स्द्म में ही अवा यह सीयर अपन पिया जाता है कि समाजशास्त्र किसि प्रकार एक विज्ञान है? समाजशास्त्र वो विज्ञान मानने मे--एक सामाजिक विज्ञान मानने में कोई श्रापत्ति नहीं होनी चाहिए क्योक्ति उसकी प्रति में विज्ञान के सभी श्रावश्यक तत्त्व मौजूद है 1 (1) समाजशास्त्र वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करता है--समाजशास्त्र सामाजिक घटनाओओ झौर सामाजिक प्रक्रिया वा विज्ञान है जो भ्रपने श्रध्ययत-विपय




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