अग्रिहोत्र व्याख्या | Agnihotra Vyaakhyaa
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
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लेखक :
Book Language
संस्कृत | Sanskrit
पुस्तक का साइज :
7.05 MB
कुल पष्ठ :
199
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( द ) इससे सिट्ट होता है कि यह छोटा सा शब्द निरथेक नहीं जाता मुग्व से निकला ठाध्द अपनी सत्ता नहीं खो बेठता परत सारे वायमगढल का जो इस ओर तथा पाताल में रहता हे अर्थात् २३००४ मील का खूब वेग से बह चक्कर लगाता हे । जब यह छोटा सा टिक का शब्द इतना बलवान हो तो क्या शग्निहोत्र में ज़ोर से बोला शब्द इस से २० गुणा ट्री पर नहीं जावेगा ? और जब क्रोढ़ों मनुष्य मिल कर एफ साथ एक समय हवन करें तो. कितना टूर लोर गहरा यह प्राढद जावेगा उसे विचार में लो लाइस ? महाशय जहां शब्दों के सुनने का पबंधथ हो बढ़ों शब्द सुने जा सक्ते हें । कोड आधश्यय्य नहीं कि एक योगी एकांत में बता हुआ इच्छानुसार अपने छुद्य में यान सुन सक्ता हो । सजातियों के मन एक हों जैसे पिता पुत्र पति पत्नी भाई बहन के तो ुद्यों पर असर हो सक्ता है । कोन ऐसा मनुष्य होगा जिस ने अपन जीवन में कभी न कभी अपने प्यारे
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