अहिल्याबाई | Ahilyaabaaii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तत्कालीन भारत व होलकर राज्य की स्थापना 0 भी पूर्ण रूप से सक्रिय था । 1730 के वर्षाकाल के बाद मालवा पर हुए मरहठों के आक्रमण का प्रधान सेनापति मल्हारराव होलकर ही था । तब मुगल सम्राट की ओर से मालवा में कोई सूबेदार नहीं था । उदाजी पवार से चिमाजी का मतभेद हो जाने के कारण मल्हारराव प्रधान सेनापति बनाए गए थे और 3 अक्तूबर 1730 को अन्य सब अधिकारों सहित मालवा के 74 परगनों का सरंजाम मल्हारराव को प्राप्त हुआ । इसके बाद मुगल सप्राट की ओर से नियुक्त सूबेदार मुहम्मद बंगश मरहठों को मालवा से खदेड़ने के लिए आगे बढ़ा पर उसे सफलता नहीं मिली । सन 1732 में मुगल सम्राट ने सवाई जयसिंह को मालवा का सूबेदार बनाया और मरहठों को मालवा से मार भगाने का काम उसे सौंपा । पर जयसिंह इस कार्य में पूर्ण रूप से विफल होकर जयपुर लौट गया । इसी समय मरहठे फिर मालवे पर चढ़ आए। उनका कोई विरोध नहीं हुआ और मालवा मराठों के अधिकार में आ गया । इस राज्य को बढ़ाने व उसकी अच्छी तरह से व्यवस्था करने के लिए पेशवा ने जागीर प्रथा का उपयोग कर अपने प्रमुख सरदारों को जागीरें प्रदान कीं और इस प्रकार सन 1732 में मालवा में मराठा राज्यों की स्थापना हुई । मल्हारराव होलकर को मालवा राणोजी सिंधिया को उज्जैन आनन्दराव पवार को धार और तुकोजी व जीवाजी पवौर को देवास की जागीरें मिलीं । इस प्रकार होलकर सिंधिया व पवार वंशों के मराठा राज्य मालवा में स्थापित हुए ।)ये राज्य इस प्रांत की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण व नवयुग-प्रवर्तक सिद्ध हुए । मालवा में मराठों के आगमन व उनके शासन के कारण मालवा में कुछ सामाजिक परिवर्तन भी हुए । सन 1741 में मुगल साम्राज्य का संबंध मालवा से सदा के लिए टूट गया । सन 1733 में मल्हारराव ने पेशवा बाजीराव प्रथम को एक प्रार्थना-पत्र दिया कि मेरी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए मेरी पली गौतमाबाई को कुछ खासगी जागीर प्रदान की जाए । तदनुसार छत्रपति शाहू की आज्ञा से पेशवा ने मल्हारराव को एक पत्र लिखा कि अब आगे से खासगी और दौलत का विभाजन अलग अलग रहेगा। इसके बाद 20 जनवरी 1734 को होलकर घराने को चिरकाल के लिए मालवा में वंश परंपरागत कुछ परगने देकर पेशवा ने मल्हारराव को विशेष सम्मानित किया । दक्षिण में कुछ जमीन देने के अतिरिक्त पेशवा ने मालवा में होलेकर को महेश्वर का परगना व इंदौर परगने में से 9 गांव-हरसौला सांवेर बरलोई देपालपुर हातोद महिदपुर जगोठी करज व माकड़ोन दिए। यह होलकर की खासगी की जागीर कहलाई । इसकी आमदनी तब 2 लाख 99 हजार रुपये वार्षिक थी । होलकर के सरंजाम में यह आमदनी जोड़ी नहीं जाती थी । इस खासगी जागीर के दिए जाने के दिन से ही मालवा में होलकर राज्य की विधिवत स्थापना हुई । इस होलकर वंश में सब मिलाकर 14 शासक हुए 220 वर्षों तक होलकर राज्य रहा और 16 जून 1948 को इस होलकर राज्य का विलय भारतीय संघ में हो गया ।




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