ऋग्वेद दशम मंडल में प्रतीकात्मकता एवं वैज्ञानिकता का समीक्षात्मक अध्ययन | Rigved Dasham Mandal Me Prateekatmakta Avam Vaigyanikta Ka Sameekshatmak Adhyayan

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Rigved Dasham Mandal Me Prateekatmakta Avam Vaigyanikta Ka Sameekshatmak Adhyayan by डॉ.दयाशंकर शास्त्री - Dr. Dayashankar Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उन्स:सदी ८]. ऊऋग्तेद दशम मण्डल में प्रतीकात्मकता एवं वैज्ञानिकता दशम अध्याय: “निघण्ट” पंचम अध्याय की चतुर्थ सूची से .. संदर्धित अन्तरिक्ष स्थानीय देवताओं का स्वरूप और पहचान | एकादश अध्याय: “निधघण्टु” पंचम अध्याय की पंचम सूची से संदर्कधित देवताओं तथा देवियों के स्वरूप तथा पहचान | द्वादश अध्याय : “निधघण्टु” पंचम अध्याय की षष्ठ सूची से 'संदर्धित द्युस्थानीय देवी-देवताओं का स्वरूप तथा पहचान | यास्क ने संक्षेप में वेद की विषयवस्तु को अपने ढंग से संकलित किया है, जो अध्ययन का विषय बन सकता है। इसकी विवेचना से यह निष्कर्ष बनता है कि तीन स्थान व्यूह - प्ृथिवी, अन्तरिक्ष, द्ु -. अपने-अपने देवता अग्नि, वायु या इन्द्र, आदित्य अपनी विभूतियों और कर्मों के परिप्रेक्ष्य में अनेकनाम्ना होकर पुरूष के समान व्यवहार करते |... हुए परिलक्षित होते हैं, ऐसी वेद की विषयवस्तु है। इसमें “पुरूष के समान |. होने पर जो अत्यधिक जोर डाला गया है, वह वेद सम्मत तो है डी, मानो |. | वेद का आग्रह भी है - “यत्पुरूषं व्यदद्युः कतिधा. व्यकल्पयन्‌, ...... तथा. |... लोकानकल्पयनू *5 | चरकसंहिता** और पुराण*7 भी इसकी पुष्टि करते हैं। तब ऋग्वेदीय पुरूषसूकत का *कतिघ्ा* चरक संहिता के *कवतिदघ्यापुरूषीयशारीर के साम्य से *सत्वात्माशरीर के लोकविभाग** ही पृथिवी, अन्तरिक्ष, दु आदि के रूप हैं. और ये तीनों स्तरों अधिभूत, अधिदेव, अध्यात्म पर कार्यरत होते हैं, और लोक क या विश्व इनके संयोग से निर्मित होता है यवथ्था - कर ४ “पादोडस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि**............. ...... |. | अर्थात्‌ इस पुरूष का एक पाद विश्व में (आ विश्व) है तथा इसके तीन पाद | भूतों, अमृत और दु में है। इस प्रकार पुरुष और लोक अपने सम्पूर्ण |... 25. ऋण 10:90:10, 13 . 26. चरक0 शा0 4:13 27. भागवत 2:5:35-36, 1:3:3 . .. 28. सत्वात्माशरीरं तु त्रयमेतत्‌ त्रिदण्डवत्‌ू लोकस्तिष्ठति संयोगात्तत्र सर्व प्रतिष्ठितम्‌ ।। चरक0 सूत्र0 1:46 29. ऋण 10:90:3.




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