सौवर्ण | Sauvarn
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.12 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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No Information available about श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सोवण शने झने उठ ऊध्बे भाठ पर धारण कर निज रुवि शशि तारा जटित मुकुट स्मित आत्मतेज का सामितों सम्राटों धैनिकों के युग में बहु विकसित होता रहा गुद्य अंतःस्थ कूट यह में मुंजरित इसकी प्राणों की द्वोणी में जीवन वैभव रहा. झूलता नव शोगा में देव नया सांस्कृतिक वृत्त उदित हो रहा क्षितिज में मानव जीवन मन का नव रूपांतर करने नव संगति में संजो परिस्थितियों की भू को नवठ संतुढन भर बहिरंतर के यथाथे में नवमी का मणि कद पूर्ण चेतन्य सुधा से स्वप्न द्रवित राका. बरसाएगा भविप्य की देव दृष्टि अतिक्रम कर लुकी मनुज के मन को सक्रिय फिर से दिव्य चेतना नव्य संचरण गुदा बद्ध ज्योतिर्निझर सा युग-सचेष्ट अब जन भू को मज्जित करने जीवन शोभा में देखो वह स्वदूत उतरते स्वप्न पंख स्मित आओ हम विश्राम करें ्यानावस्थित हे [ देवों का अंतर्धान होना स्वदूतों का प्रवेश |
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