धन्वन्तरी | Dhanwantari

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Dhanwantari by परमानंद जैन शास्त्री - Parmanand Jain Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र७४ “गूगल की घूप देने मात्र से उ्वर, नजला; जुखाम, स्वरभंगा, स्वर नली के प्रदाइ, वायु नलियों फी सूजन में लाथ दोता है । दमा, खांसी और चाय के रोग में चड़ा लाभ दोता है ।”” ही डॉ० कनेल चोपरा। हवन एक वैज्ञानिक पद्धति है- कुछ कोगों का विश्वास दै कि दवन से कार्वन डाय-आक्साइड सैस चिकलती दै जो फेफड़ों के लिए घातक है | चात ठीक है । हवन के द्वारा कार्यन डाय आक्साइड सैस की उत्पित्त का निषेध नहीं किया जा सकता । किन्तु साथ द्दी इस क्रिया पर भी ध्यात देना दोगा जो हवन के साथ व्यवह्वत होती हैं। (१) दचन सें समिधाशओं का बड़ा महत्व है। ऐरे-गैरे किसी भी चुक्ष की समिंधायें लेने का निपेध दूं । इसका प्रयोजन यही दे कि समिधायें उन्दीं वृचों की ली जाऐ' जो उस दूषित गैस को कम मात्रा सें. न .. भि उत्पन्न करें 'और साथ दो उसके लाभप्रद तत्व इतसे अधिक हों कि उस गेंस की द्ानि को विष्पम कर से । (न) इवन छुरद के चारों ओर एक घेरे में जल भरा जाता दे जो दवन से उत्पन्न दूपित वायु को तत्काल शपने भीतर खींच लेता दे। जददां जल के द्रस घेरे का अभाव दोता है वद्दों जल से भरे इये मूत्तिका पात्र रखे जाते हैं, जो कार्वन डाय 'झाक्सा- दच्च जैसी दानिमरद वायुष्मों को 'प्पने भीतर खींच लेते हैं ! (२9 वन छादि कृत्य करते समय दे ताजे लना-पल्लय लाकर पूजन स्थान को सजाने का चिघान ऐ एवं दरवाजों पर हरे बन्दनवार चांपे जाते हैं । दूसका ध्येय यद्दी दे कि हरे पत्ते सुन्दर श्र भले लगने रे साथ दी साथ दवन आदि के द्वारा निक- लगे याती कार्बन डॉयिसाक्साइड को एक दम 'पने सीन निगल जाते हैं सौर प्राण चायु को प्रदान '' घस्पग्तरि सांग नैप करते हैं | इस प्रकार इन लता-पप्लच छोर चन्दनवारों का भी चैज्ञासिक सददस्व है । ं व्व आप विचारिए कि इस कार्बन ढायष्माकसा- यड के प्रभाव को चिरस्त करने के लिए इस विधान में कितनी सावधानी बंर्ती गई दै-कि उससे जरा से -भी अततिष्ट की 'झाशंका नहीं दै। इस पद्धति को 'अवैज्ञानिक बताना ऐसा ही दे जेंसा मल की दुर्गन्ध के कारण भोजन का नचिपेत्र करना । स्पष्ट दै कि अग्नि द्वारा ्औौषधियों का वायुभूत प्रशाली से जो सुच्मीकरण द्ोता, दै, उसमें रोग निवारक शक्ति तो. रहती ही है, साथ ही भेपज पर- सार रोंग कीटारुष्यों के सीधे सम्पर्क में पहुंच कर उन्हें नप्र करने में सम | दोते हैं । उनके पोषक तत्व रोगी का यथेष्ट पोषण करने में सफल दोते हैं । दसारा व्यक्तिगत विश्वास है कि इवन के द्वारा असाध्य छौर यदमा जेसे दुः्साध्य रोगों को बहुत . कम पैसों में ठीक किया जा सकता है । जिन रोगियों को छाक्टर ने 'असाध्य कहकर छोड़ दिया और जो जीवन से दताश दो चुके थे उन्दोंने इवन-चिकित्सा का आश्रय लेकर न केवल रोग से दी छुटकारा पाया अपितु पूर्ण ्ारोग्य लाभ किया | किस रोग पर. किन-किन 'छीपधियों का दवन करना चाहिए, इसकी दस विस्तृत तालिका दे सकते हूं । यह विज्ञान बहुत विरदत 'ोर पूर्ण दै। किन्तु स्थानाभाव के कारण दम केवल क्षय की 'सौपधियों पर दी प्रकाश डालेंगे | थ हवन के लिये आवश्यक उपकरण (१५ इचस कुण्ड या पात्र जिसमें हवन करना दो । (२ जल से भरे डुए मृत्तिका पात्र । (२) पक कटोरी में घी, दूसरी में इचन सामग्री । (घर) 'वम्मच | (४) ससिधायें (६) कपूर या घी की फल घत्ती । (उ9 माचिस, चिमटा, पंखा, गमछां झादि |




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