कुमारदास कृत जानकीहरण महाकाव्य | Kumardas Krit Janaki Haran Mahakabya

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Book Image : कुमारदास कृत जानकीहरण महाकाव्य - Kumardas Krit Janaki Haran Mahakabya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतलकार करना कठिन तथा न्यायोचित नलडीं कड़ा जा सकता। इसकी अपेक्षा अन्त साक्ष्य को बलवन्तर स्वीकार करके कूमारदास का केवल कवि मानना डी युक्तियुक्त छ। ट्रसरी बात यह हैं. कि मद्रास की. पाण्डुलिपय और पयाण्डुलिपियों की अपेक्षा अधिक प्रमाणित हैं छिक्षा - महडाकवि की डिक्षा भारत या लंका में ब्लाह्मण यण्डितों के द्वार डी प्राप्त हुई डैं क्योंकि उसर युग में लंगा में भी त्लाह्मण विद्वालों की काफी प्रतिष्ठा थी और उन्डें मंत्री तथा राजपुशडित पद पर नियुक्त किया जाता था जीविका के लिए प्रचुर सम्पति दान में दी जाती थी। धर्म एवं सम्प्रदाय - इतिडासकासें ने उन्डें बौद्धधर्मालुयायी डी माला है तथा मॉर्यकूलोत्पन्ल कहा है मिडावंश ने भी बौद्ध डी बताया है और एल०्डब्लू टामस एवं आर गनल्द गीकर आदि




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