प्राचीन भारतवर्ष की सभ्यता का इतिहास भाग - ३ | Prachin Bharat Warsh Ki Sabhyata Ka Etihas Bhag Tin

Prachin Bharat Warsh Ki Sabhyata Ka Etihas Bhag Tin by रमेश चन्द्र दत्त - Ramesh Chandra Dutt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्श्प चन्द्रशुप्त झोर झशाक [ ४३ निकलतटमलिलविलववविकाल्‍पततलितकेतरलरलिविनिलििविकिअलिटनत कार्य करने में ूकेगा वह पाप का भागी हागा 1 पाप करना सहज हे । देखा प्राचीन समय में धम्मे का प्रबन्ध करने वाले कम्मेचारी ( घम्में महामात्र ) नहीं थे । परन्तु सैंने झपने राज्याभिषेक के १३ वें वर्ष में धर्म के प्रबन्ध करने वाले नियत किए हैं । ये लोग सब सम्प्रदाय के लोगों से धम्में के स्थापित करने श्रोर उन्नति करने के लिये श्रोर धर्म्पयुतां की भलाई करने के लिये मिलते हैं । वे यवन कम्बोज गान्धार सैराष््र पेतेनिक शोर सीमा प्रदेश की झन्य ( झपारान्त ) जातियों के साथ मिलते हैं । वे याघाओं श्र ब्राह्मणों के साथ गरीब अमीर श्र बूद्धों के साथ उनकी भलाई श्रोर सुख के लिये आर सत्य घम्मे के झनुया यियें के मार्ग के सब विध्ों से रहित करने के लिये मिलते हैं । जा लाग बन्धनों में हैं. उन्हें वे सुख देते हैं झौर उनकी बाधाझीं के दुर करके उन्हें मुक्त करते हैं क्योंकि उन्हें झपने कुटुम्ब का पालन करना पड़ता है वे धाखे का शिकार हुए हैं श्रोर बुद्धा अवस्था ने उन्हें झा घेरा है । पाटलिपुत्र तथा अन्य नगरों में वे मेरे भाई बहिनां ओर झन्य सम्बन्धियां के घर में यल्ल करते हैं । सर्वत्र घम्मेमहामात्र लोग सच्चे धम्मे के झलजुयायियें धर्म्म में लगे हुए श्रौर घम्मे में दृढ़ लागों शोर दान करने वालों के साथ मिलते हैं । इसी उद्देश्य से यह सूचना खाद्वाई गई है। खूचना ६ देवताओं का प्रिय राजा पियद्सी इस प्रकार बाला 1 प्राचीन समय में हर समय का्य्य करने ओर विवरण सुनने की ऐसी श्रणाली कभी नहीं थी । इसे मैंने ही किया है । हर समय खाने के समय विधाम के समय शयनागार में एकान्त से अथवा वाटिका में सबंत्र वे क्म्मेचारी लोग सेरे पास




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