पी कहा ? | Pee Kha ?
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.64 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पी कहाँ ? श्९
फ़ैजन--में समझ गई। अच्छा, फिर अव इसका इलाज वया ? यह तो सर
जो कुछ हुआ वह हुआ! गय एक वात जो बहुत ही जरूरी है, वह बताओ ।
यह पपीहा कहाँ से आया? हम सबको हैरत हैं कि यह क्या बात है। किसी
की कुछ समझ ही में नहीं आता । हमारी जान तक हाज़िर है--तुम्हारे छिये
जान तक हाजिर है। मगर खुदा के लिये वता दो कि यह वात क्या हूँ।
लड़का--अरी वहन, मुझे खुद नहीं माठूम ! तुम लोगों ने मुझे किस हालत
में देखा। ढूढ़ती हुई आई थीं ना, और यह जानवर मेरे हाथ में पाया--उस
वक़्त यह बोलता था या नहीं ?
फ़ैजन--क्या आप सब भूल गई! अरे ! (अपने गालों पर थप्पड़ छगा
कर) क्या आप सब भूल गये?
लड़का--(मुस्कराकर) वाह, फ़ैजन, वाह!
फ़ैजन--सरकार माफ़ करें ! मगर अब... - खुदा के वास्ते, सोच काके,
गौर करके, इतता वता दीजिए कि यह पपीहा कहाँ से आाया !
लड़का--अम्मीजान की कसम, मुझे नहीं मालूम ।
फ़ैज़न--प्यारी ! आओ प्यारी! जरी दुलारी और सितारन को वुला लो।
और तुम भी आओ।
प्यारी ने सितारन गौर दुलारी को युलाया और उनके पास गई। फ़ेंजन ने
कहा--छुम सबको बड़ी से वड़ी क़सम, सच-सच बताओ, यह पपीहा कहाँ से
माया । पिंजड़ा तो हमने मँगवाया, यह तो खूब याद है। मगर रात को यह जान-
चर कहाँ से माया । या मेरे भल्लाह, यह कया वात हूँ 1. . . . . सरकार, कुछ तो बताइये ।
लड़का--हाय, में किससे अपने दिल का हाल कहूँ। मुझे जो सबसे ज़्यादा
प्यारा है, उसी के मरने की कसम खा लूँ कि मुझे कुछ भी याद नहीं है। भम्मी-
जान और | अब्वा से बढ़के तो कोई नहीं । उनकी कसम खा लूँ। और अगर अब
भी यकीन ने आये तो कहो--उसकी कसम खा लूँ!
फ़ेंजन--(सुस्कराकर) खूब समझी। कोई गेंवारन मुक़रर किया है!
मुझे इस वक़्त जरा हँसी आ गई। मगर डर लगा, कि कहीं आप खफ़ा न हो
जायें। एक आँख से रोते हैं, एक आँख से कभी-कभी हँसते भी हैं।
लड़का--इसमें हम वयोंकर वुरा मान सकते हैं। हँसते भी हें, रोते भी हैं।
सभी कुछ करते हूँ। अरी वहन, मर-मिटने की वात है !
इतने में इत्तफ़ाक़ से एक सिक्ख आया । मालियों और मालिनों की राफ़लत से
दुर्रता हुआ चला आया। उसने जो इस लड़के और: फ़ेंजन को देखा तो अशु-
अथय करने लगा। ये सब तो उस अजनवी आदमी को देखकर नजर से ओझक
हो गथे, और वह दिल को मसोस-मसोंसके रह गया, और वहीं खोया-खोया-सा
खड़ा रद गया। इतनें में एक आदमी से आफके कहा--सिंहजी, वाहर जाइये !
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