सुनी घाटी का सूरज | Suni Ghati Ka Suraj

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सुनी घाटी का सूरज - Suni Ghati Ka Suraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीलाल शुक्ल - shreelal shukl

Add Infomation Aboutshreelal shukl

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आरम्भ तारकोल से रंगी हुई काली नविकना पतलीनसी सड़क हैं । उसके दोनों किनारे घने श्रमलतास के पेड़ी से दके हैं । हरे पत्तों के बीच से कीले फूलों के शुच्छे हवा के सहारे उड़-उड़कर ऊपर आा जाते हैं । सड़क के किनारे-किनारे दूर-दूर पर बसे हुए साफ-सुथरे चैंगले हैं । एक बंगले के फाटक से बाहर निकलकर सत्या सड़क पर श्राती है । उसने हल्के सुनहरे रंग की साड़ी पहन रक्वी हैं । पायों में स्लिपर हैं । सर के बाल खुले हुए हैं श्रीर पीठ पर छितिरे पड़े हैं । उसके हाथ में कुछ स्वबार श्रीर चिट्टियाँ हैं । दिन के दस बजे हैं । सामने से एक मोटर श्राती हैं । ट्राटयर के पास साठ पद लगभग चर साल का एक बच्चा खड़ा हुआ है । रस्म झपने ओठों को पिंड स्कीम से सहा रखा है । श्राँखं फैलाकर चह्द सड़क की श्रोर देख रहा है । मोटर ऑेपनी गति में सड़क को निंगलती चली जाती है |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now