सुनी घाटी का सूरज | Suni Ghati Ka Suraj

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Suni Ghati Ka Suraj by श्रीलाल शुक्ल - shreelal shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आरम्भ तारकोल से रंगी हुई काली नविकना पतलीनसी सड़क हैं । उसके दोनों किनारे घने श्रमलतास के पेड़ी से दके हैं । हरे पत्तों के बीच से कीले फूलों के शुच्छे हवा के सहारे उड़-उड़कर ऊपर आा जाते हैं । सड़क के किनारे-किनारे दूर-दूर पर बसे हुए साफ-सुथरे चैंगले हैं । एक बंगले के फाटक से बाहर निकलकर सत्या सड़क पर श्राती है । उसने हल्के सुनहरे रंग की साड़ी पहन रक्वी हैं । पायों में स्लिपर हैं । सर के बाल खुले हुए हैं श्रीर पीठ पर छितिरे पड़े हैं । उसके हाथ में कुछ स्वबार श्रीर चिट्टियाँ हैं । दिन के दस बजे हैं । सामने से एक मोटर श्राती हैं । ट्राटयर के पास साठ पद लगभग चर साल का एक बच्चा खड़ा हुआ है । रस्म झपने ओठों को पिंड स्कीम से सहा रखा है । श्राँखं फैलाकर चह्द सड़क की श्रोर देख रहा है । मोटर ऑेपनी गति में सड़क को निंगलती चली जाती है |




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