मानवगृह्यसूत्रम् | Manav Grihyasutram

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Manav Grihyasutram by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कि सकनमिलस नियम नन्यनयदादनधाअअ2250. दो | को चाहता हुछा स्नातक ( युजेल्लाहा ) इत्यादि तीन सन्त्रों से दोस फेरे के कद [ पु० १ सं०्४ ] सापाउइत्तियुतमु प्‌ ए्‌ प्रयुजे रवाहो युजे स्वाहेत्पेतैरन्तेवासिनां योगमिच्छब्तरिति ॥३॥. प्राकृस्विष्टकृतोडथजपतिं ॥ ऋऋतं वदिष्यामि सत्यं वद़ि- प्यामि तन्मामवतु तद्ठक्तारमवत्ववतु सामवतुवक्तारम। वा- इसे मनसि प्रसिष्ठिता मनो मे वाचि प्रतिष्ठितसाबिरा- युमंथि घेहि वेद्स्थ वाणी स्थ । ऑभूभुवः स्वस्तत्सवितुरि- तिं ॥ ४॥ दर्भपाणिस्त्रि साविज्नीमधीते। त्रींश्वादितोशनुवा- काच्‌ को वो युनच्टीति च । उपाकुमं हे5ध्यायानुपतिष्ठन्तु छन्दांसीति च ।। ५ तस्यानध्याया समूहन्वातो बेलीक- क्ारप्रभूति वर्षे न विद्योतमाने न स्तनयतीति श्रूतिराका- लिक॑ देवनुमुलं विद्युदन्वोत्काःत्यक्षरा शब्दा 1 आचारे णान्ये ॥ ६॥ अटूंपड्चमासानधी त्योत्सूजति पब्चाहुंबष्ठा- इस के शनन्तर स्त्रिपकत्‌ शाहुति से पढ़िले (कऋतंवद्िष्यासि०) इत्यादि म- न्त्र का जप करे फिर स्विप्रुतु होस करे ॥ ४ ॥ फिर दृद्धिने हाथ में कुश लेः कर लीन बार गायत्री साधिन्री मन्त्र पढ़ें फिंर ( इषेत्सा४ ) इत्यादि लीन छलुबाक पढ़ें । तदुनन्तर ( कोचोयु० ) इत्सदि पढ़ें ॥ ४॥ ज़पाकर्म के वाद सीन वा. पांच. दिन छांघी छाने-पर द्लोक नाम छज्जा से बने पर शथॉंत इतनी वर्पा कम से कम हो जिस से उज्जा के दोर वा शीलाती टपकने लये तब सी अनध्याय करे पर इस से कम व्षने पर नहीं । तथा चिजुली चमकने झौर बादल गलेंने पर भी जब तक्ष चमके वा गर्ज..तब तक वेद त पढ़ें । बवोति शास्त्र में. लिखे झंनुसार ग्रहों का. जब -युट हो तब एक दिन रात बेदू न पढ़ी चिजुली इन्द्र वनुष्‌ श्री बड़े उसका तारे टूटने पर तथा शृगालाद़ि के छुसभ- य रोने पर.भीं और सामवेद की ध्वनि होने पर शन्यवेद न पट इनसे मिस्र झनध्याय सनु झादि धर्म शास्त्र में कहे झनुसोर जानो ॥६॥ संढे चार दा सा-




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