इशवस्योउपनिषद | Ishavasyoupnishad

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Ishavasyoupnishad by हरिकृष्णदास गोयन्दका - Harikrishnadas Goyndka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( र७ ) विषय पृष्ठ परमात्माके ही नाम हैं--इस तथ्यके अनुगीलनसे परमात्माकी सत्ताके जान होनेसा कथन २६९ 3 समस जगतके रचयिता सचालक. रक्क और आधारभूत प्रजानखरुप परमात्मा ही उपास्यदेव हैं--इस प्रकार ऋषियोंका अनुनक़ निश्चय करना पक २६९ ४ उम प्रजानस्वरुप परमेश्वरके जानसे गरीर-त्यागणे अनन्तर परम घाममें जाकर अमर हो जानिका निरूपण पे २७१ बान्तिपाठ न २७१ (८) तैततिरीयोपनिपद्‌ उपनिपदके सम्बन्ध प्राकथन तथा आान्तिपाठ २७२ यीक्नाचलली १ आचार्वद्वारा विभिन्न बक्तियांकि अधिशतृ-देवताओंके नामसे परमेश्वरी स्तुति-प्रायना करके उसती. वायुनाममे स्तुति और चन्डना २७२ २ वेदमन्त्रीके उच्चारणके नियमाको कह्नेरी प्रतिना करके उनयझा सक्षेपम वर्णन शी २७४ शछे लोक) ब्योतिः विद्या प्रजा और बरीरविपयक पॉच प्रकारकी सहितोपासनाफ़ि प्रस्रणम अभी लोकप्राप्तिके उपायका- व्योतियोंके मयोगसे मीतिक-पदार्थोकी उन्नतिके रहस्य विद्याप्रापतिके रहस्पका संतानप्राप्तिके उपायका एवं बाणीद्वारा प्रारथनासे बरीरखी उन्नति ओर नामजपसे भगवत्मातिकें उपायका तथा इन पंचाक जानसे प्रथकू-प्रथक फल पानिका कथन र्‌७६ ४ साधनमें सहायक वोद्धिक और वारीरिक बलके लिये परमे-वरसे 3कारद्वारा प्रावना करनेका प्र्ार तथा ऐश्वर्य-प्राप्ति आटिके लिये किये जानेवाले हवनके मन्त्रीका उल्लेख २८१ लोक च्योतियाः वेडा और प्राणोके विपयमे भू भुव सः उडन चार महाव्याहतियोके प्रयोगद्धारा उपासना करनेकी विधि और उनका प्रयक-पूथक फल र८५ ६ परमेश्वरके हृदयाकाडाम रहनेका वर्णन तथा उन्हें प्रत्यन देखने- याले महापुरुषका क्रमण भू भुव ख मह ्तप लोवोंम जाने ओर वहाँ सराट बनकर प्रकृतिपर अधिकार प्राप्त कर लेनेका ई० तो जल२--. था




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