रामानन्द सम्प्रदाय | Ramanand Sampraday

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Ramanand Sampraday by डॉ बदरीनारायण श्रीवास्तव - DR Badrinarayan Shreevastva

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२२ रामानन्द सम्प्रदाय तथा हिंदी-साहित्य पर उसका प्रभाव सात्वत-धम महाभारत विष्णु पुराण भागवत तथा पातंजल महददाभाष्य के अनेक न प्रमाणों द्वारा भरडारकर ने सिद्ध किया है कि चिष्णि जाति का ही दूसरा नाम सात्वतु या वासुदेव संकषण श्रनिरुद्ध श्रौर प्रययुग्न श्रादि इस जाति के सदस्य ) थे | वासुदेव इनके प्रधान देवता थे | भणडारकर के शझनुसार इस वापुदेव धर्म । के प्रवत्तक कंदाचित्‌ वासुदेव नाम के कोई श्राचार्य रहे होंगे । पातंजल महा-- भाष्य श्र काशिका में वासुदेव को ब्रष्णि-कुल का एक सदस्य कहा गया है । वेदों में भी कृष्ण ऋषि का नाम श्राया है जो कृष्णायन गोत्र के प्रवर्क थे संभवतः द्रागे चल कर वासुदेव से उनका तादात्म्य हो गया श्रौर इसी श्ाघार पर उनका संबंध दृष्णि जाति से भी मान लिया गया । क्रमशः कृष्ण की सारी गरिमा वासुदेव में जोड़ दी गई । श्रन्य देवों से भी वासुदेव की श्रभिन्नता धीरे- घीरे स्थापित की गई श्र गोकुल-कृष्ण से भी उनका सम्बन्ध जोड़ा गया | सम्भवतः चतुव्यहों की कल्पना बाद में की गई । भगवदूगीता में मस्तिष्क बुद्धि ज्ञान अ्रहंकार जीव श्रादि वासुदेव की प्रकृतियों की व्याख्या की गई है | बाद में विद्वानों ने परमात्मा की इन प्रकृतियों को झनिरुद्वादि में साकार कर दिया | गीता में बिराट्स्वरूप का वर्णन करते समय वासुदेव को विष्णु कहा गया है | वासुदेव और नारायण में अभिन्‍्नती .. अनेक प्रमाणों से भरडारकर ने यह सिद्ध किया है कि नारायण वासुदेव के पूववर्ती थे | महाभारत काल में जब वासुदेव की पूजा का प्रचार हुश्पा दोनों में अ्रभिन्नना स्थापित की गई | महाभारतः के बन पर्व में श्रज॑न श्रौर वासुदेव कृष्ण की समता नर-नारायण से की गई है | कर क बासुदेव और विष्णु न शभारत-काल तक अाते-श्राते विष्णु परमात्मपद . तक पहुँच गए. थे श्रौर इसी काल में भणडारकर के मत से वाधुदेव की उनसे श्भिन्नता स्थापित की यह | मीष्मपर्व में परमात्मा को नारायण श्रौर बिषु के नाम से पुकारा गया द् श्रौर उनकी श्रिन्नता वासुदेव से की गईं है । शान्तिपव में भी युधिष्ठिर मे कैष्ण को विष्णु कह कर पुकारा है । स्पष्ट है वासुदेव को प्रधान देवता मानने वाला वासुदेव धर्म सात्वतों द्वार। हि च््४ स्वीकृत घर्म था महाभारत काल में नह भारत की विभिन्न जातियों एवं प्रान्तों में परसरित था पौराणिक युग में यदद सैनिक धर्म न रहा श्रौर इसमें वैदिक देवता




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