मानसिक आरोग्य | Mansik Arogya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मानसिक आरोग्य  - Mansik Arogya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लाजजी राम शुक्ल - lalji ram shukl

Add Infomation Aboutlalji ram shukl

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
के जाने पर किसी प्रकार का. बुरा विचार भन में घुस जाने पर दे नहीं निकलता वह मनुष्य के मन को और भी नि्वेल बना देता है / जब सचुष्य का सन निबंल रहता है तो शरीर भी समिबंल रहता हैं। - निर्बल शरीर में जब किसी प्रकार रोग के कीटारु आ जाते हैं तो वे शरोर से बाहर नहीं निकलते । कभी कभी-वे शरोर को ध्वस्त . कर डालेते हैं। ४ ः कितने ही लोग शारीरिक रोगों के निराकरण में मानसिक स्थितिं की महत्ता न जानकर रोगी का शारीरिक उपचार किया करते है इससे रोगी को कुछ ऊपरी लाभ हो जाता है परन्तु उसके सन की कमजोरी स जानने के कारण रोगों पीछे पहले से भी अधिक सयानक रोग से छाक्रान्त हो जाता है। छाधघुनिक चिकित्सा-शास्त्र के कुछ विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर आये है कि ज़िस प्रकार वकील लोग संसार में अपराधों की संख्या बढ़ाते हैं इसी अकार डाक्टर लोग भी झपसी चिकित्सा द्वारा संसार में रोगो की संख्या बढ़ाते हैं । प्रत्येक रोग सदुष्य को शिल्ता देने के लिये आता है। प्राकृतिक चिकित्सकों का कथन है कि प्रकृति के किसी नियम की चअवहेलना के कारण मनुष्य को किसी प्रकार का रोग होता है। यह रोग जड़ से तब तक न नददी दोता जब तक कि सलुष्न अपने झपराध का प्रायश्चिद .. नहीं कर लेता और अपना जीवन प्राकृतिक नद्दी बना लेता । किसी जे 1 पं दे ् जि कर द् । 1 प्रकार का रोग रोगी का सुधार करने के लिये आता है । उसका हेतु उत्तम होता है। जब रोग को समय के पूर्व हटाने की . कत्रिम चेष्रा की बिक है। तो रोग ऊपरी दृष्टि से तो हट जाता है परंतु वास्तव से वह ॒इटता सही । जब रोगी करा सृच्चा जाता है तभी च हटता हे । पीकर हल सुपर . अब यदि हम यह पूछे कि यह सच्चा सुधार कया है। तो हम इसे सानसिक चल की घृद्धि सानसिक छारोग्य की घापति स्वावलंबन की शक्ति ्याने के झतिरिक्त और कुछ नहीं पायेगे । इस माठंतिक - चिकित्सा का वास्तविक लक्ष्य सलुष्य को सानसिक आरोग्य प्रदान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now