बाल मनोविज्ञान | Bal Manovigyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हे. ) आचार विज्ञाव आदि हैं । किंतु, न्घियक या समर्थक विज्ञान के सामने अपने भालोच्य विपय का अध्ययन करने के छिये कोई साध्यम नहीं रहता है । इसलिये यह अपने अध्यय्रच विपय की वास्तविकता का ही घर्णन करता है ! इसकछिए कुछ विद्वानों ने इसे वर्णनास्सक विज्ञान कहा है । इसे दूसरे शब्दों में हम चहद कह सकते हैं कि इसका सम्बन्ध जो उपस्थित रहता है, उसी से रददवा है। क्या होना चाहिये, उससे नहीं । इन दो विज्ञान-कोटियों की विचेषताओं को ध्यान से रखते हुए बाल-मनोविज्ञान को हस समर्थक विज्ञान ही कहेंगे, क्योंकि यह बच्चो के मानसिक (00 61012]) और शारीरिक विकास का अध्ययन उनकी वारतविक अवस्थाओं में करता हे। अब शारीरिक और मानसिक विकास पदों की सार्थकता और उपयुक्तता इतना ही कह कर व्यक्त की जा सकती है कि वाल सचोचिकज्ञान के छिए बच्चों के शारीरिक और समान सिक दोनों ही विकास महत्वपूर्ण है ; क्योकि एक के बिना दूसरे का अध्ययन अधूरा तथा असन्वोप पूर्ण होगा । फ़िर यह अपने को उनके जन्म से लेकर उनकी परिपक्वता तक इसलिए सीसित रखता है कि बाल-जीवन का अंत परिपक्कता के आसे पर हो जाता है और प्रायः सभी श्रकार की शक्तियों का पूर्ण विकास इसी अवधि मे हो जाता दे । अतः यह जन्स से किशोरावस्था तक दिल लिड के विभिन्‍न विकासो का अध्ययन करता है । उसके बाद का अध्ययन करना तो सामन्य मानोविज्ञान का काम है । विज्ञान पढ़ की व्याख्या करने की कोई सआवइयकता नहीं क्योकि हस पहले ही स्वीकार कर चुके है कि यह एक विज्ञान है कारण, इसमें विज्ञान की सभी विदेषताएँ हैं । इस प्रकार उपयुंक्त परिभाषा में च्यवचहहत सभी पढ़ी की सार्थकता और म्रति- पन्‍्नताओं को ध्यान में रखते हुए हम कद सकते है कि उंपयुंक्त परिभाषा पूर्णतः ठीक है । लेकिन, यहाँ पर स्मरणीय है कि आजकल विद्वानों की अन्वेषघण अभिरुचि बच्चो के गर्भकारु से ही आरम्भ होती है, अतएुव इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमारा यह कहना अनुपयुक्त नहीं होगा कि बाल सनोविज्ञान वह समर्थक विज्ञान है जो बच्चों के दारीरिक और सानसिक विकास के विभिन्‍न पहलुओं का. अध्ययन गर्सकाल से परिपक्कता तक करता है । ५5. विषय-बिस्तार ( 3८लै८ ) * बाल मनोविज्ञान का विषयनविस्तार सामान्यतः बालमन कहा जा सकता है तथा इसी के अध्ययन के लिये यह बालकों की विभिन्न दाक्तियों




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