डाली नहीं फूलती | Dalee Nahi Phultee

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Dalee Nahi Phultee by शानी - shaani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जोने क लिए २१ छर छर्रर्रर छर-पिसाव कुछ ऐसा ही पिसाव गहरे कुएं के पानी में अचानक बात्टी डुबो देने का स्वर रात के एकाकी-पन में कैसी झ्रजीब- सो भ्रनुभूति भर देता--खाली-खाली श्रौर उदास एकाएक अपने ऊपरी होठ के अ्रगले भाग में खारेपन का स्वाद पाकर अ्रहमद मियाँ चोके भ्रौर भ्रनायास ही लरजने लगे अपने निचले होठ को गहरे दाँतो से काट लिया-- -या अल्लाह उनकी सीधी-सादी बहू भी भूठ बोलती है




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