वह | Wah

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Wah by श्री रविन्द्रनाथ ठाकुर - Shree Ravindranath Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसी समय पूषू दीदी दामिलिंग चली गयी बह माथा चला बली में श्रकेखा मेरे साथ रह गया । उसे झन्छा नहीं लग रहा था | मैं भी ऊब गया था । वह बोला-- मुक्ते दार्बिलिज़ सेन दो | मैंने कहा-- बताशो तुम कोन काम करोगे |? वह बोला-- पप दीदी के लिए खेल कीं रसोई कीं सामग्री तैयार करू शा कागब कूद कर दे दूंगा इतना परिश्रम तुमसे न हों सकेगा । चरा लुप रहों । इस समय मैं हँग्राऊँ द्वीप का इतिहास लिख रहा हूँ । हंग्राऊँ? नाम सुनने में श्रस्छा लग रहा हैं दादा मेरी ही कलम से वद्द काम तुमसे झ्धिक श्रच्छा होता । इस विषय में कुछ ्ाभास दे सकते हो | . ये सजाक नहीं है विषय गम्मीर है. मुझे आशा है कि यद्द पुस्तक कालेज की पाठ्य-पुस्तक में स्थान पा जायगी । वेशानिकर रह




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