हिंदी की छोटी पुस्तक | Hindi Ki Chothi Pustak

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Hindi Ki Chothi Pustak by शिवदास पाण्डेय - shivdas pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रत्येक ९५ हाथ कंची है । गुंवनफे नोने दीचोंबीय दो समाधि हँ । ताजमदडऊे याहरझी चोभास भीत- रपी शोभा आधिरू समोदर है । भोतरकी दौंवालों मे अनिय रंग दिगंगे यदइस्प पत्थरों लटफर देलपूटे परू फूल आदि घनाये गये एं शोर अत्यन्त पौदटसे टुरानरी जायतें भी लिखी गई हैं । इसे ईसा झफ” नदी मामक एव फारीगरने दनाया था, और दिय- जारीक फामम लिगन नगर आामारनद्सों ने सहा- यहा दो दी । रमफे लातिरिक तारिरपान, परशिया दिएी, पंजाद, थीर पटक अनेक फारीगर काम फिपा परतेये । जयपुर आर राजइनानेसे संगमरम- ररा पप्यर संगदापा जाता था । एक गले लंच और एुर गन ५1६ संगमर्सरके परदर टरूडबा भु्य ० हे नारननपराजास पलटा पत्यर संगरदमा ९६० प्ातियग गजरे भाइस लाता था. झंपर चीनये मातिदग यम ५६० ) के भायस रसटिक परदर मेंगाया सावा था । पाइन हरा सार दपदाइसे पद्म कि रायमाय पलापप हर यू हुई ट डर ग्य क्र के के. कण द 1९४१६. * मन हनन जल सुझ हे हा की इटरट




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