आधुनिक भारत के निर्माता (बदरुधीन तैयबजी ) | Aadhunik Bharat Ke Nirmata [ Badrudhin Teayabaji ]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुस्लिम शिक्षा 3 असाधारण गुण भनवन लगे । उनके बावा हाजीभाई उनवी दखभान वरत लेकिन तयव अली झ्राठ बप के थ तभी हाजीभाई का देहात हो गया। परिवार के सामने मसीवत ही मसीयत थी परतु जैसा श्री झ्रासफ ए० ए० फजी ने दिखा है. तियव अली का जीवन सचमच एक तरह का चमत्कार ही रहा । उनके बाप एव मासुली सौदागर थे । नियन वा जीवन शुरु करते तैयवजा ने तरह-तरह के एम किये । छाता की सरम्मत से लेकर प्याज बेचने पुराने सामान दी फेरी लगाने खिलौने तथा ऐसी ही अझय चीजें बचने तक के काम उत्होन क्यि । यह सब होने पर भी 1863 में जब उनकी महत्यु हुई तो वह लखपंति व्यापारी 4 शरीर ५ लाख की सम्पत्ति उहाने छांडी । वह चरिगवान ध्रौर काय कुशल व्यक्ति ये । झपने व्यस्त जीवन मे भी समय निकाल कर उहाने श्र रयी फारसी हिंदुस्तानी श्रौर गुजराती का बुछ ज्ञान प्राप्त कर निया था । सम्पत्ति तथा वम्यई के व्यापारी समाज मे उच्च स्थान प्राप्त कर नेने के वाद उ होने अपन पु वा विदेशी चिक्षा पाप्त करने के लिए रगतण्ड भी केजा लेक्िनि उदार दष्टिकोण तथा श्राधुमिक विचारों का हाने पर भी वह पवके घ।मिक थे । यूरोप याजा बी तो वापसी मे हज भी हो श्राये । मुल्ला तो वह थे ही कुछ समय के लिए पम्वई के आमिल (बड़े मुल्ला के डिपुटी ) भी रह । हाजीभाई के मरने पर भाई मिया श्रपने पुन तयव श्रली को बम्वई ले आये थे । पर कुछ हो दिना मे भाई मिया भी सर गय श्रौर तयव श्रली बसहारे हो गये । श्री हसन भाई त यवजी वताते हैं कि तथबे श्रली के भाग्य ने पहला पलटा तब खाया जब दाडिया नाम के किसी यर्क्ति से उे व्यापार के निए 5000 सपये का कज मित्र और दूसरी वार भाग्यादय तब हुआ जब एक समद्ध व्यापारी मुल्ना महर अ्रसी ने अपनी लड़कों तयब भ्रली को 1. श्राटोबग्यग्राफी श्राफ तयबजी भाई सिया (तैयब अली) सम्पादक श्रासफ ए० ए० दि० फनी दि जनल श्राफ दि एशियाटिक रेसायटी श्ाफ बाम्बे जिह्द 36 37 परिशिप्ट 1961 62 भ्रप्न ल 1964 मे प्रकाधित । कर




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