हिंदी प्रेमाख्यान काव्य | Hindi Premakhyan Kavya
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.93 MB
कुल पष्ठ :
462
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)०८ दिंदी घ्रेमाख्यानक काव्य ६९९२-२३
मी मैं जानि गीत भस कीन्दां, मकु यह रहै. जगत महू चौन्दां
क्योंकि ः
केदड न जगत जस वेचा केइ न लीन्ड जस मोक
कवि की इच्छा केवल इतनी ही है कि
नो यदद पढ़े कहानी इग्द संघरी दुदद बोल
हु२३. यहां पर एक समस्या यह है कि क्या इन उपदेशों तथा
प्रेम पंथ के वीच कोई संबंध है । सच तो यह है कि ये नैतिक.
तथा धार्मिक उपदेश प्रेम पंथ से अलग हैं । मध्ययुग का ज़माना,.
कुरान की शिक्षा तथा इन कवियों का संत स्वभाव इन अन्य.
उपदेशों के मूल में है । जैसा कि पीछे बतलाया गया है इन कवियों,
का प्रेम पंथ एक महत्वपूणं वस्तु थी । उसमें अझनाचार की भावना
न थी इसी कारण इन उपदेशों तथा प्रेम पंथ में किसी प्रकार का;
विरोध नहीं है ।
१. जाय अंवावला (१९३५ पुर पके
२ वी पृ० ३४२
३ पढ़ी
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