मराठो का इतहास भाग 2 | Maratho Ka Itihas Bhag 2
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.96 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६ ) शाली मुगल सरदार के विरृद्ध यह यप्रत्याशित सफतता (पालपेट वे युद्ध मे) प्राप्त करने के पश्चात अपहा ध्यान मानवा तया बुटेवखण्ड दी ओर का द्रत किया । उसे अपन छनपति को जो इस समय ऋणुग्रस्त था आर्थिक सहायता पहुँचाना आव यक था 1 इप काय में उसे अपने सरतारो सहहारराव नात्कर तथा रानोजी सिंपिया से विदेष सहायता मिली । मालवा का सुगन सूवेशार थिरधरवहादर बड़ा हो योग्य एवं चतुर सेनानी या और उसे अपने भाई दयाबहादुर की सैनिक सहायता भी बुतम थी। मालवा पर अभियान करने के पूद पेशवा ने सवाई जयसिंद वे आस अपन एवं दूत दादूं औोमपन को भेज कर उससे आवश्यक मघ्ग्पा माँगो । उसने चाजीराद को माजवा पर अभियान करने के पस मे ही परामल दिया । इसी मध्य बाजोराव को छत्रपति से अपनी तुलजापुर वो तीथ यात्रा क सम्ब्र थ मे वापिस बुला निया इसमें रसक मालवा अभियान में कुछ विलम्ब अवश्य हुआ कि तु नवम्बर १७२८ ० से अमकेरा के रुंधान पर दो विभित टिशाओ में पेशवा तथा उसके भाई के नहूत्व में पहुँची हुई दो विशात मराठा सेनाओं ने गिरपरवहादुर को भीपगा पराजय दी । वह तया उसका भाई दयायहादुर दोनों ही युद्ध में मोत्त के घाट उतार दिये गये । इसी समय पर इन द नो मराठा सेनापतिया से छप्रमाल छुनेले ने भी जिस पर मुदम्मदखाँ वगाश ने आक्रमण कर दिया था सहायता को माँग का । उ होने उपसाल की रक्षा की थौर मुल्म्मल्खाँ वगाश को परास्त वर दिया । इसे प्रकार बुदेलखण्ड के विगाल भू भाग पर मराठों के नेतत्व में छत्रसाल का प्रमुत्व स्यापित हो गया और उमने पशवा को अपनों मत्यु के परचातू अपन पुश्रा का स्थाई सरक्षक नियुक्त किया । उसने वेशावा को पारितोपिक रूप से है लाख १४५ हजार हुपये की मालगुजारी का विदाल भू क्षत्र भी पान किया था । इसमे कालपी हटा सागर भामी सीरोज कोच गढ़ा कोटा तथा हिरद॑ नगर के प्रटेग सम्मिलित थे । इनके प्रव घ के निये पेशवा की बोर से गोविद पत की पियुक्त वी गई थी 1 जजीरा के सिद् का दमन तथा बाजीराव और निज्ञाम पी भेंट --सनू १७२७ ई० में शिवरात्रि के उत्सव के समय चिपलून के समीप एवं पहाड़ी पर स्थित्त परधुराम मा लिर पर जो शाहूंजी के गुरु ब्रह्म द्व स्वामी की कुटो से सम्मिलित था सिद्यो ने भीषण आाक्रमण्ण कर दिया । उें इन यवनों ने भीपणु कष्ट और यात नायें दी । ब्रह्म दर स्वामों ने दाह से इन शतन्रूओ को मार भगान का अचुरोय किया । भन्तत श्७इर् ई० म बाजोराव ने कोश पहुँच कर वहाँ के मराठा सरदार सेखोजी आपने से परामश करके सिद्ियं। पर जल तथा स्थल दोना मार्गों स माक्रमणु करने की योजना बनाई । अतत दुछ सामधिक असफ्लताओआ का सामना करने के परचातू १७३६ ई० में चारगाँव नामक स्थान क समीप दिमनाजी अप्या ने उस
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