कछुए और मगर | Kachhue Aur Magar

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Book Image : कछुए और मगर  - Kachhue Aur Magar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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में अंडों से बच्चे वर्षा ऋतु में निकलते हैं। ऐसा होने का एक अच्छा कारण है। बरसात में बहुत से पौधे तथा कीट पैदा हो जाते हैं जिन्हें ये कछुए खा सकते हैं। इस समय पानी भी भरपूर होता है । इस प्रकार बच्चा कछुए की जखरूरतें पूरी हो जाती हैं । कुछ क्षेत्रों में जनजातियों के बीच एक मान्यता हैं कि आकाश में बादलों की गरज अंडे के भीतर के शिशु कछुए को बता देती है कि अंडे से बाहर आने का सही समय आ गया है। जैसा हमने देखा है उससे भी लगता है कि यह बात सही ही है। अलग-अलग प्रजातियों के कछुओं के अंडों के आकार और उनकी संख्या में अंतर पाया जाता है। कुछ धल कछुए तो एक समय में केवल एक ही बड़ा अंडा देते हैं किंतु समुद्री कछुए कोमलकवची कछुओं के. अंडे लगभग गोल होते हैं। जिस तापमान पर अंडों का विकास होता है उसी पर यह निर्भर करता है कि भीतर पनपने वाला बच्चा नर होगा या मादा। नियमित रूप से एक समय में एक सौ से भी अधिक अंडे देते हैं। मीठे पानी के कछुओं की स्थिति इन दोनों के बीच की होती है। दक्षिण-पूर्वी एशिया के वर्षा वनों का विशाल एशियाई कछुआ एक बार में पचास तक अंडे देता है। इस कछुए के बारे में लगभग सभी कुछ अजीब 15




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