साहस की यात्राएं | Sahas Ki Yatrae
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.83 MB
कुल पष्ठ :
50
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फाहियान को मारस-याता दे
संग रहो थी । पानो फी तलाश में सभी भटक रहे
थे । चारों झोर रेगिस्तान फंला हुमा था। सब लोग
झलग-प्रलम हो गये । पानों की खोज में श्रागे सढ़ते
ही फाहियान को मेदान में हड्टियां श्रीर पिजर बिखरे
हुए दिखाई दिये । ऐसा लगता था, मानों बहू हुड्टियों
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का मंदान हो । फाहियान घबरा गया । उसने सोचा
कि इस मेंदान में श्राकर लोग जदर सर जाते होंगे ।
लेकिन उसने हिम्मत न हारी । दोस्तों से बियुड़कर
' फाहियान श्रकेला ही चलता रहा । हिम्मत से कठिन-
से-कठिन काम सरल हो जाते हैं । फाहियान ने रेगि-
स्तान पार फर लिया ।
फिर बहू एक जगह रुक गया । कुछ दिनों बाद
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