मानस बोध | Manas Bodh

55/10 Ratings. 1 Review(s) Add Your Review
Book Image : मानस बोध  - Manas Bodh

More Information About Author :

No Information available about गंगाधर सीताराम अभंग - Gangadhar Sitaram Abhang

Add Infomation AboutGangadhar Sitaram Abhang

Sample Text From Book (Machine Translated)

(Click to expand)
आ आ सा द चज भः ट र ब ” र ह र च बिगी टर ” (१०) 1 जयासी रुचेना मना सद्य गोड़ ॥ २८ ः ॥ मना सर्वदा मिष्ट बागी द्दे दो ॥ 1 परा नादि लावूनियां दु:ख देतो ॥ ॥ करा मित्र ह्योवोनियां हेतु भंग || ॥ असत्याय' तो) काय ज्याचा अभंग || २९ ॥ अशा दुभती मोड जाही फसावे ॥ । ॥ करोनी सना आत्म-हानी बसावे ॥ )| मना दुर्जनांचा घडाश् न संग || ॥ धरी मागं ऐसा न यावा प्रसंग ॥ ३० ॥ ज़ र च क भक 2 च मै जयाचे नियोग माति भ्रष्ट होते ॥ ५ धनाची वपूची सदा हाने हो-ते ॥ ॥ ञशाः दुर्जनाचा नको संग बापा ॥ 1 सिऊनी रहावे तया जवे सापा ॥ ३१ ॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now