बहुरूपी संत खेळ | Bahuroopi Sant Khel

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Bahuroopi Sant Khel by गोविंद मोरोबा कार्लेकर - Govind Moroba Karlekar

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(७) श्रीभगवंतकी यादकर ॥ जोगजुगनका बांधा तोडा शमदम” का सिरपर संबछा छोडा ॥ समता सोहि सुहावे तुरा ॥ गुरु गा* हडीबीरपुरा ॥ नेवं चीरकी पेर्‍्ही मुद्रा ॥ कात फाडके खाये निद्रा ॥ अनुहात धुनुक मुख बजावे ॥ नागसूर धनुगर्ज चल चल चल निरंजन जल जंगलके जिवडे ॥ खेलना होयसो उलटरष्टिसॉ खेळ ॥ आबी करूंगा फेछ तेरी गुंढी काट्ंगा !। सापसे भुळे बिच्छ किडे परपंचकोंटि परमो आनकर पडे ।॥| बडे बहे जनावर पाले हारे ॥ लाले, जरदे, उजळले, काले, पीछे, भळाबे भला ॥ अभिमानजी बडे झड मुठ विण चलटे नाहीं ॥ कहु तो बह्मांडकाटने दोरे ॥ देखो मियां हाय हाय ॥ इंख याः राबे डंखमारा ॥ सो बडे बडे सो नही उतारा ॥ जदगुरुग्या* नका छगाया मोहरा ॥ जहर उतारा मीया वाजीगारी वीद्या खेल ॥ हंडीबाग बडा अलबेला ॥ हात हछावे पाय हछावे ॥ भाले भोले छोक भुलावे ॥ आबे हंडीबाग ॥ बाप बडा क्‍या बेटा बडा ॥ बेटे आगे बाप खडा ॥ गुरु बडा क्या चेला बडा ॥ चेले आगे गरु खडा ॥ चेला तो प्रेम महेछपर चढा ॥ धनी बंडा क्या चाकर बडा ॥ चाकर आगे धनी खडा ॥ सास- बडी क्या वह बडी ॥ वहु आगे सास खडी ॥ बीबी बडी क्या बांदी बडी ।॥। बांदी आगे बीबी खडी ॥ निराधारका लेके छ- डी ॥ बीबी खसमके छातीपर चढी ॥ ते बडा क्‍या में बडापेरे




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