वेदांत विचार | Vedant Vichar
Book Author :
Book Language
मराठी | Marathi
Book Size :
11 MB
Total Pages :
672
Genre :
Genre not Defined. Suggest Genre
Report Errors or Problems in this book by Clicking Here
More Information About Author :
Sample Text From Book (Machine Translated)
(Click to expand)परमात्मने नमः
न न्या भे व रः
वदान्तावचार र
अनिस नसेन
“ वेदवैय् सर्वेरहसेव वेद्यो
वेदाम्तकृद्ेदविदेव चाहम् । ?
भगवट्टीता अ० १५७ ० १५
श्रीभगवद्दीतामां श्रीकृप्ण भगवान् चदे छे केः--सर्चे चेदोए्
करी हं (नपरमात्मा ) ज वेद्य (ऱ्चेदितिव्य-जाणवा योग्य-छे ))
चेदान्तकृत् (न्वेदान्तना अ्थनो संप्रदायकताँ ) अने चेदवित्त्
(-्वेदान्तना अर्थनो काता ) प. पण इं ज छं.
वेदान्त नामऱ्येदनो अम्त-किंवा अचसखान-भाग, अथचा
वेदनो शिसोभाग. चेदोती सर्व ्ाखाअ(ना उत्तर
भाग चिपे पठ्यमान जे श्रेथो,-अर्थात् प्रत्य-
गात्मभूत परमब्रह्म (प) विशिए्टचिपयवती' अने आत्यन्तिक
संसारनिचून्ति-ब्रह्ममातिरूप प्रयोञजनवती ( ब्रह्मांत्मेक्यनो खाक्षा-
त्कार छे विषय जेनी पवी ) प्रमाणभूता उपनिपषदो-ए
चेदान्त. अने ते अन्त श्वुतिओ उपनिपदू तेओने उपकारि
वेदान्त.
१ झा लेखम! जे समत होय ते प्रायशः शकरोक्तिउपजीव्यक छे, अर्थात्
परमपुरुपार्यदायिनी शकरनी वाणीमाथी अ आ छेखलु बहुकरी उपजीवन छे.
अने तेम जे समत होय ते ज भात शकरवाणीनु गण, अने सूमिति आदि
शाख्रो सम तेने युवमुसथी वा तज््ञाताथी अम्यासवानी तया स्वतः विचार-
वानी घपेक्ष ठे. २ विलक्षण, विशैषणयुक्त विषयवती-विचारयोग्य
चातयवाली.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...