लाल चोंच वाले पंछी | Laal Chonch Wale Panchhi

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लाल चोंच वाले पंछी - Laal Chonch Wale Panchhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यहां अब नहीं हो रही हैं सेंधमारियां बगुले लौट रहे है देर रात अपने घोसले में पहुंचा रहे हैं कागा परदेश तक संदेशा कई सालों से गूंगी नहीं है उल्लुओं को चौत्कार किसी वारदात का वहां अता-पता तक नहीं चमीचवा खुश दिख रहा है इन दिनों उधेड़ते हुए मरे पशुओं की आखिरी खाल हड्डी बीनने वाले लोग अदहन पर चढ़ी दाल में नमक सिश रहे है राह चलते पेड़ के पते झड़ने लगे हैं खेतों में दम तोड़ती नदिया सोख ले रही हैं पहली ही बूंट में पानी की धार बादलों के टुकड़े बझ रहे है आख मिचौनी के खेल में मकई की लंबी गांठों की ओट में दुबका




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