एशिया के ज्योतिपुञ्ज | Asia Ke Jyotipunj

Asia Ke Jyotipunj by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

राम सागर शुक्ल - Ram Sagar Shukl

विश्व प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल कुशीनगर के पास एक छोटे से गाँव मठिंयारत्ती ,डाकखाना तरकुलवा, जिला देवरिया उत्तर प्रदेश में वर्ष 1942 को पैदा श्री राम सागर शुक्ल जाने माने पत्रकार, कवि, लेखक ही नहीं भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। आप भारत-नेपाल संबंधों के विशेषज्ञ भी है । श्री रामचरित मानस पर विशेष शोध एवं दक्षता भी रखते हैं। रेडियो और टेलीविज़न समाचार कैसे लिखें, नहीं यह सच नहीं (कविता संग्रह),अनजान पड़ोसी:भारत-नेपाल, कस्मै देवाय, राम की राह पर-अयोध्या से कलाम के घर तक, नेपाल नरेश वीरेन्द्र की हत्या ,वन चले राम रघुराई, एशिया के ज्योतिपुंज गुरु गोरखनाथ आदि आपकी प्रकाशित पुस्तकें

Read More About Ram Sagar Shukl

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भारतीय धर्म साधना के इतिहास में गुरु गोरखनाथ के नाथ सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्रख्यात विद्वान आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने ग्रंथ 'नाथ सम्प्रदाय' की भूमिका में लिखा है- “भक्ति आन्दोलन के पूर्व यह (नाथ सम्प्रदाय) सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक आन्दोलन रहा है और बाद में भी शक्तिशाली रहा है। आधुनिक भारतीय भाषाओं में से प्रायः सबके साहित्यिक प्रयत्नों की पृष्ठभूमि में इसका प्रभाव सक्रिय रहा है। आधुनिक भारतीय भाषाओं के साहित्य की प्रेरक शक्तियों का अध्ययन नाथ सम्प्रदाय के अध्ययन के बिना अधूरा ही रह जाएगा।" दार्शनिक ग्रंथों में नाथ सम्प्रदाय के अनेक नामों का उल्लेख मिलता है। विभिन्न ग्रंथों में इसे सिद्ध मत, योग मार्ग, अवधूत मत, अवधूत सम्प्रदाय आदि नामों से निरूपित किया गया है। नाथ सम्प्रदाय के प्रणेता आदिनाथ को माना जाता है, वही गोरखनाथ है, वही शिव है। ब्रह्मानन्द ने अपने ग्रंथ 'हठयोग प्रदीपिका' की टीका में लिखा- "आदिनाथ : सर्वेषाम् नाथानाम प्रथमः, ततो नाथसम्प्रदायः प्रवृत्तः इति नाथ सम्प्रदायिनो वदन्ति।" गुरु गोरखनाथ का आविर्भाव विक्रम की दसवीं शताब्दी में माना जाता है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार शंकाराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली और इतना महिमान्वित महापुरुष भारत वर्ष में दूसरा नहीं हुआ। भारत वर्ष के कोनेकोने में गुरु गोरखनाथ के अनुयायी आज भी पाये जाते हैं। इतना ही नहीं. पडोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका और अन्य देशों में भी नाथ सम्प्रदाय और गोरखनाथ के अनुयायी भारी संख्या में आज भी पाये




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now