चरित्र शिक्षण | Charitr-shikshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.73 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
'. मैं अपनी चूतियोंको संयत करनेमें कहांतक सफल रहा?
लोभवश चोरी या कामनावश क्रोध तो नहीं किया? अपने
स्वाये या दूसरोंको हानि पहु'चानिकी इच्छासे झूठ तो नहीं
योला ? निज आचरण या परनिन्दा-द्वारा अन्य सामने
कोई वुरा उदाहरण तो नहीं उपस्थित किया!
अपने शिक्षकों या मातार्नपताकी आज्ञाओंका टीक टीक
पालन तो किया ? उनकी किसी कड़ो आधाका पालन .फरते
समय मनमें या उनके पीठ-पीछे हमने उनकी नित्दा तो नहीं
की ! उनका था अन्य बोंका सम्मान तो किया !
अपनी पोशाक, सुन्दरता या. सुखं-सामग्रीके कारण किसी
साथीफो छोटा तो नहीं समभका या अभिमान तो नहीं किया !
प्रार्थना, पढ़ाई या क्लासके कामोंमें सुस्ती तों नहीं की!
इतना विचार फर ेनेप्रर शान्त-चिस हो अपने अपराधों के
लिये क्षमा-याचना और भविष्यकें लिये कत्तघ्य- '
पालनकी शमताके लिये प्राथना करनी चाहिये।
हमार प्रत्येक दिनका आरम्भ और अन्त परमात्मा के साथ
दोना चाहिये ।
जो लोग अपनी कार्य्यावलीको जाँच प्रंति दिन नहीं करते
उत्हे' अपने दैनिक लाभालाभका पता नहीं लग सकता और
इसका पता लगे दिनां हमारी सफलता अधिकांशमें अनिश्चित
रहती है । दैनिक दिनचर्य्याका दिसाव न .रखनेवाछा
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