भोग में योग | Bhog Me Yog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(- १४) घताते हुए कदते हैं कि जब मुखे काम वासना सताती है; तो मैं देह की नश्वरता का 'अदुभव करता हूँ । मानों मेरा शरीर मरा हृष्मा पड़ा है, चसे छूने घर देखने से भी घृणा मालूम होती हैं । थे कहते हैं कि एक बार मैंने एक अनाथ मनुष्य का मृत शरीर पड़ा हुआ देखा था, उसमें कीड़े कुचुला रहे थे और बड़ी तीवू, दुर्गन्ध श्ारद्दी थी । अपने शरीर का भी जब मैं वैता दी स्वरूप देखता हूँ तो क्षण मर में चातना शान्त,हो जातो है ।” वीर्य रक्षा के झन्य साधारण सियस स्त्रप्न दोप प्रकरण में लिखे गये हैं । उनका पालन करने से श्रासानी के साथ न्रद्म- प्र्य का पालन किया जा सकता है | न. किम जलटिकियि न पुरुपो' के गुप्त रोगों में चार रीग वहुत्त अधिक परि- माण में देखे जाते हैं ( १ ) स्वप्न दोप, ( ९) श्रमेद, ( है ) शीघ्रपतन ( ४ ) नपुंसकता । यद्यपि इनकें कारण लग श्रलग हैं, तो भी इनके कारण शरीर दिन-दिन चौण होता जाता है और संभोग में झसमर्थता श्ाने लगती है । झागे इन चारो' की श्रलग अलग बिवेचना करते हैं । स्वप्न दोष । स्वप्न सें बीथे पात दोजाना स्वप्नदोप कदलोता है । इसके कई कारण हैं । - छोटी उमू से दी बीये निकालमे लगने से चीय वादिनी नाड़ियाँ ढीली पढ़जाती हैं, श्रौर थी की थोड़ी सी उत्त जना को भी रोकने की उनमें साम्थ्य नहीं रहती । निवे- लगा के कारण बीर्य॑ भी इतना पतला द्ोजाता है, कि थोड़ी देर




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