इब्ने खल्दुन का मुकदमा | Ibn Khaldun Ka Muqaddimah in Hindi

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Ibn Khaldun Ka Muqaddimah  in Hindi by इब्ने खलदून - Ibne Khaldun

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) ५०-सल्तनत के अन्तिम काल में देश की जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है, संक्रामक रोग फँैलते हैं और अकाल पड़ते हैं म ५१-मानव सभ्यता के लिए राजनीतिक नेतृत्व का होना परमा- व्यक है, ताकि उसके अधीन उसके कार्य सुव्यवस्थित हो सकें... ५२-इमाम महदी, उनके विषय में लोगों के विचार एवं महदवियत की वास्तविकता क ५ ३--सल्तनत एवं कौमों का अभ्युदय तथा भविष्य वाणियाँ एवं जफर ... अध्याय ४ देश एवं नगर, नगर-सम्बन्धी सम्यता की व्रिभिन्न १-सल्तनत का अभ्युदय नगर एवं आबादियों के पूर्व होता है २-सल्तनत की स्थापना के पइचात्‌ सल्तनतें नगरों में पाँव जमाना चाहती हैं थक ३-बड़े-बड़े नगरों एवं भव्य भवनों का निर्माण दक्तिशाली सल्तनतें ही करती हैं ४-बड़े-बड़े भवन एक ही सल्तनत नहीं बना सकती प५्‌--नगर बसाने में किन बातों पर ध्यान देना परमावद्यक है तथा उनकी उपेक्षा के दुष्परिणाम ६-संसार के सर्वोत्कृष्ट पुजा-गृह एवं मस्जिदें ७-इफरीकिया एवं मग़रिब में नगरों की संख्या कम है ८-प्राचीन सल्तनतों की अपेक्षा, इस्लामी ऐश्वर्य एवं गौरव की तुलना में इस्लामी सल्तनत के भव्य भवनों की संख्या कम ह ९-एक आध को छोड़कर, अरबों के बनवाये हुए भवन, शीघ्र नष्ट हो जाते हैं ०-नगरों के विनाश का प्रारभ २ १-नगरों में खाद्य सामग्री की बहुतायत और बाजारों की चहल-पहल तथा रौनक नगर की सांस्कृतिक अवस्था पर निभंर है १२--दाहरों में चीजों के भाव १३-बदवी लोग अधिक आबाद सम्य नगरों में नहीं बस सकते २५. दे 9: रद रे६ दे ३६५ ३६७ २६६ ३७० ३७१ रे७४ ३७८. ३७९. २८० २८१ र८र ३८ रे ३८७. ३८९,




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