चरक सहिंता | Charak Samhita

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : चरक सहिंता  - Charak Samhita

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ब्रह्मानन्द त्रिपाठी - Brahmanand Tripathi

Add Infomation AboutBrahmanand Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १५ शिकित्सा २१३, सत्वावजस २१४, उपाया- भिष्तुता चिकित्सा २१५, मान्यिकी विनित्ता एवं तास्पिकों चिक्त्मा र१५, प्रहचाधा चिकित्सा १४५, औपध चिकित्सा २१५1 द्वादग अध्याय उन्माद-अपरमार-अतत्त्वाभिनिवेदा-मनो- २१६-२५१ विक्षिप्ति-विषाद-अव्यव रियतचित्तता-भ्रम- विश्नम-संविश्वम-व्यामोह-मन.ान्ति- मनोग्रन्यि, वृद्धावरयाजन्य विकार उन्माद रोग--परिचय २१६ मिर्दचन २१६, सर्द ग्रन्थ २१६, सामान्य निदान २१६, सामान्य सम्प्राप्ति २१७, पुर्वरप २१७, सामान्य लक्षण २१८, उन्माद के प्रफार २१८, निदान-सम्प्राप्ति- लक्षण--वातज उन्माद २१९, पित्त २१९, गफज २२०, सल्ि- पातज २२०, मानसदु यज ३२०, विपज २३० ॥ भूतोन्माद--भूतोन्माद निदान २२१, 'ूतोन्माद में देवादि प्रवेश २२१, देव, यक्ष आदि द्वारा उन्मादोत्पत्ति का प्रयोजन २२१, हिसा के प्रयोजन से कृत उन्माद के लक्षण २२१, 'मूतोन्माद का पूर्वरूप २२१, भूठोन्माद के सामान्य लक्षण २२१, देवोन्माद का लक्षण २२२, शापोन्माद लक्षण २२२, पिश्युन्माद लक्षण २२२, गन्धर्वॉन्माद लक्षण २२९, यक्षोन्‍्माद लक्षण २२२, राक्षसोन्माद लक्षण र२९२, ब्रह्मराक्षसोन्माद लक्षण २२२, पिंशाचोन्माद लक्षण २२३, असाध्य उन्माद लक्षण २२३, चिकित्सासुत्र २२३, सामान्य भोपध चिकित्सा २२४, व्यवस्थापन २२६, उन्मादमुक्त लक्षण २२६, पथ्यापथ्य २२७ । अपस्मार--परिचय २२७, निर्वेचन २२८, सन्दर्भ ग्रव्थ २२७, निदान २२८, सम्प्राप्ति २२८, दोप-दूष्य-अधिष्ठान स्रोतस्‌ २२९, पूर्वरूप २२९, सामान्य लक्षण २२९, वेग आने का समय २३०, भेद २३०, वातज अपस्मार लक्षण २३०, पित्तज अपस्मार लक्षण २३०, कफज अपस्मार लक्षण २३०, सन्निपातज अपस्मा[र लक्षण २३०, असाध्य अपस्मार लक्षण २३०, सापेक्ष निदान २३१, चिकित्सासुब्र २३१, चिकित्सा २३२, सशमन प्रयोग २३२, सिद्धयोग-रस-रसायन २३३, व्यवस्थापत्र २३४, पथ्यापथ्य २३४ । मतत््वाभिनिवेश-परिचय २३४, निदान व सम्प्राप्ति २३४, लक्षण २३५, चिकित्सासुत्र २३६, चिकित्सा २३६, व्यवस्थापत्र २३७ । मनोविक्षिप्ति-परिचय २३७, लक्षण-प्रकार एवं उपचार ३२३८-३९ । लिधाद--परिचय २३९, लक्षण २३९, प्रकार २४०, उपचार २४० 1! मम्पबस्थितथिसता--परिचय २४१, कारण र४१, सक्षण २४१, प्रकार २४९, उपचार २४२ । दे का तु० सु०




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now