प्रतापी आल्हा और उदल | Pratapi Aalha Aur Udal

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1378 Pratapi Aalha Aur Udal  1937 by महर्षि वेद व्यास - Mahrshi Ved Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) विशाल राज्य-स्थापन-मदाराज चन्द्रवमीं का वर्णन पूब॑ ही आ चुका है। उन्होंने अपने वाहुवल से चन्देल रान्य की स्थापना की थी । उनके प्रधान सद्दायक बीर चिन्ठामणि थे । दोनो की आत्मा एक थी, परस्पर 'अमिन्न-दृदय मित्र थे। इन्हीं दो महान आत्मा ने मिलकर उस शक्ति के युग में विशाल राज्य स्थापन किया था । .. चन्द्रवर्म के वाद वोरवर्मा राज्य का अधिकारी हुआ । उसने वढ़ी योग्यता से बहुत वर्षों तक शासन किया । उस समय चन्देरी की बढ़ी उन्नति हुई। नगरी सुन्दर तथा राजभवनों से पूर्ण हो गई । कला-कौशलों का प्रचार होने लगा तथा व्यापार की वृद्धि हो गई । सबंत्र सुख-शान्ति का साम्राज्य फेल गया । इसपम्रकार क्रमश: बज्चचमों, नन्दनवर्मा, जगवर्सी, 'और सूथेब्मा चन्देरी के राजर्सिंदासन पर बेठे। सूयेवमो ने बढ़ी उन्नति की । प्रजा का पुत्र के समान पालन किया तथा 'उनके सुख के लिये आवश्यक व्यवस्था की । सूयवर्मा का पुत्र मदन व्मों हुआ जिसने मदन ताल वनवाया, जो अब तक उसी नाम से प्रसिद्ध है । मदनवर्मा का पुत्र कीर्तिवसो हुआ जिसने ्पने ,नाम से एक सरोवर बनवाया, जिसे लोग अवतक कीर्ति सागर के नाम से पुकारते है।




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