प्रतापी आल्हा और उदल | Pratapi Aalha Aur Udal
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.29 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
विशाल राज्य-स्थापन-मदाराज चन्द्रवमीं का वर्णन
पूब॑ ही आ चुका है। उन्होंने अपने वाहुवल से चन्देल रान्य
की स्थापना की थी । उनके प्रधान सद्दायक बीर चिन्ठामणि थे ।
दोनो की आत्मा एक थी, परस्पर 'अमिन्न-दृदय मित्र थे।
इन्हीं दो महान आत्मा ने मिलकर उस शक्ति के युग में
विशाल राज्य स्थापन किया था ।
.. चन्द्रवर्म के वाद वोरवर्मा राज्य का अधिकारी हुआ ।
उसने वढ़ी योग्यता से बहुत वर्षों तक शासन किया । उस समय
चन्देरी की बढ़ी उन्नति हुई। नगरी सुन्दर तथा
राजभवनों से पूर्ण हो गई । कला-कौशलों का प्रचार होने
लगा तथा व्यापार की वृद्धि हो गई । सबंत्र सुख-शान्ति का
साम्राज्य फेल गया ।
इसपम्रकार क्रमश: बज्चचमों, नन्दनवर्मा, जगवर्सी,
'और सूथेब्मा चन्देरी के राजर्सिंदासन पर बेठे। सूयेवमो ने
बढ़ी उन्नति की । प्रजा का पुत्र के समान पालन किया तथा
'उनके सुख के लिये आवश्यक व्यवस्था की । सूयवर्मा का पुत्र
मदन व्मों हुआ जिसने मदन ताल वनवाया, जो अब तक
उसी नाम से प्रसिद्ध है ।
मदनवर्मा का पुत्र कीर्तिवसो हुआ जिसने ्पने ,नाम से
एक सरोवर बनवाया, जिसे लोग अवतक कीर्ति सागर के नाम
से पुकारते है।
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