नन्द - मौर्य - साम्राज्य खंड - ४ | Nand - Maurya - Samrajya Khand - 4

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Nand - Maurya - Samrajya Khand - 4  by जयचंद्र विद्यालंकार - Jaychandra Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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$ १६६४ $ै १७० $ १७१ १७२ ५१७३ ३१७४ ५१७१ है १७६ ( श६७. )) पृष्ठ ३१ या रेप ईू० पू० 0) अर पश५२ गान्धार में शक राज्य ( लग० ७०--४० ह० एू० ). ८३ गोतसीपुन्न सातकर्णि श्र श्कों का उन्मूलन ( लग० ७६-४४ ० एू० )) पश्प मालव गण की जय श्र “विक्रम” संवत्‌ का प्रचत्तन श७ ई० फू है कर ८७०५ हृरउवती का पह्नच राउय ( लग० ४२ ० पू०--दे डे ० फू कर प्'७२ सातवाहन-साश्नाउय का चरस उत्कप (लग० ४४ इ० पू० --६० ह्ृ० कर यचनों शर्कों पह्वों का भारतीय बनना धर सम ऋषिक-तुखारों के देश में चीन थ्रोर भारत का प्रभाव ( दूसरी--पहली शताब्दी इं० पू० ) मम सुव्ंभूमि में पद्टिची आय बस्तियाँ और राज्य (लग ० पृ 0 ० पू०-एशू० छ०) ८8६० वीसवाँ प्रकरण सातदाइन और ऋषिक-तुखार---पैठन और पंशादर के साम्राउय | १७७ $ १७८ है १७३ (३८ ( लग० २४ ई० पू०--लग० २२१ इ० ) ऋषिक राजा कुशाण ( लग० २५ ई० पू०--लग० २५, ह० ) प६७ चिम कफ्स ( लग०, इेश--द४ इ० ) भ ०४ न्द्र श्र कुन्तल सातकर्णि (श्रन्दाजन ७२-८३ ई०) ४०७ देवपुन्न कनिप्क (७प८--१५०० द०) 8१६ दर. कनिप्क संवत्‌ 8१६ इ. कनिप्क का वुत्तान्त श२२




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