सिद्धार्थ | Siddharth

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Siddharth by राधाकृष्ण चौधरी - Radhakrishn Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३ शिक्षाका कोई आयोजन नहीं था । इनकी सभ्यताका प्रभाव शआर्योपर काफी पढ़ा था। वर्म और दर्शनके सम्बन्ध आयकति विचार ज्यादा परिष्कृत थे। आर्य और द्रविड़ोंका यहाँ अच्छा सम्सिश्रण हुझा है। हमारे इतिहासमें इन दोनों का इतना पूरा सामउ्जस्य हो गया है कि आज उन दोनोंको अलग नहीं किया जा सकता है। आरम्भिक मजुष्यका गुजारा शिकारसे होता था । उसके बाद पशु-पालनका समय आया और फिर धीरे-धीरे सानव- समुदाय खेतीकी ओर प्रबृत्त हुआ। कृषि-युगसें स्थावर सम्पत्तिका उदय हुआ और इसके फलस्वरूप समाजमें स्थिरता आाई। इसके बाद ही राज्यका आविर्भाव हुआ और सभ्यता का विकास | आर्योंके बीच विवाह और पिठ-मूलक-संस्था स्थापित हो चुकी थी । वेदिकि समाजका संघटन कबीलों के रूपमें था. जिन्हें लोग जन कहते थे । एक जनकी समूच्ची जनता विश कहलाती थी। जन या विशः्का ही राजा होता और राजनैतिक रूपसे संगठित विशः राष्ट्र कहलाता । आर्योकी सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पितसत्तात्सक परिवारपर आधारित थी अतः उनकी बंश-परंपरा पितासे चलती थी । राजा तथा अन्य प्रमुख व्यक्ति एकसे अधिक भी विवाह करते थे। पित सूलक परिवार होनेपर भी माता से अनेक बार अपना गोत्र खोजना श्और बहुपतिक विवाह औआदिकी प्राचीन प्रथायें साठ-मूलक समाजके अवशेपों और १--श्रथववेद १२ १ उ र--वददीं १४ ६ १-२ रे ऋग्वेद १० १७३ १ १० १७४ ४.




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