हिंदी - सुमन - गुच्छ | Hindi Sumana Guccha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.44 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गे जुगनू ७ उसी ने एक को वड़ा और दूसरे को छोटा क्यों बनाया है ? अंधकार में इतना मकर सोचने से तुमने कुछ जाना है ? तमसोचों या न सोचो मैं सोचता हूं । मैंने सोच कर निश्चय किया है कि चिधाता ने तुम को और सुखद को केवल अन्येरी रात के लिये ही भेजा हैं । तुम्हारा और छय का प्रकाश एक ही है--दोनों ही जगदीश्वर के दिए हैं--तथापि तुम केवल वर्षा की रात के लिये हो और मैं भी केवल इस वर्षा की रात के लिये हूं । आओ रोवें । आओ रोचे । वर्षा के साथ म्हारा और मेरा नित्य सम्बन्ध क्यों हैं ? प्रकाशपूर्ण नक्तत्रों की आभा से उज्ज्यल बसत ऋत के काश में तम्हारे और मेरे लिये स्थान क्यों नहीं हे? बसन्त चन्द्रमा के सिए है सुखी के लिए है निशचिन्त के लिए है और वर्षा तम्हारे लिए है दुःखी के लिये है मेरे लिए है इस लिए मैंने रोने की इच्छा प्रकट की थी--किन्त नहीं रोउंगा। जिसने तस्हारे ओर मेरे इस संसार को अन्धकार- मय चनाया है रोकर उसकी दोष न दूंगा । यदि उसकी यही इच्छा है कि अंधकार के साथ तुम्हारा और मेरा नित्य सम्बन्ध रहे तो आओ अंधकार को ही प्यार करें । आओ नवीन नील मेघमाला देख कर इस अनन्त असंख्य विश्व- त्र्माउड की कराल छाया का अजुभव करें-सेघ-गजन को सुनकर सर्वध्वंसकारी काल के अविश्नांत ग्जन का स्मरण करें । बिजली की चमक को काल का कुटिलि कटाक्ष समसें । समभों कि यह संसार बिलकुल ही चणस्थायी है तुम चाणस्थायी हो और मैं भी चणस्थायी हूं । रोने की कोई बात नहीं है वर्षा के लिये ही हम और तुम भेजे गये । आओ चुपचाप जलते जलते-अनेक ज्वालाओं में जलते जलते सब सह । नहीं तो आओ मरे । तम दीपक के प्रकाश की प्रदक्षिणा करते हु जल मरो और मैं आाकाशरूप उज्ज्जल महादीपक के चारों ओर चदकर लगाकर जल परूं । दीपक के प्रकाश में तुम्दारे लिए क्या मोहिनी है सो मैं नहीं जानता किंतु आशा के प्रकाश में मेरे लिये जो मोहिनी है उसे मैं जानता हूं। इस प्रकाश में न जाने कितनी बार मैं फांदा कितनी बार जला किन्तु मरा
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