वीर विनोद [पञ्चम प्रकरण] | Veer Vinod [Pancham Prakaran]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.92 MB
कुल पष्ठ :
191
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). कि न कु मफएऋ।एए शिया रटटटडडेससटसससरसदिरेमसयमकनराउलरसरलासर गन रा __.. एक वक्त केठवा ्रामके नज़ुदीक राठौड़ ठाकुर मनमनदास मुकुन्ददासोतने शाही .. फांजपर छापा सारा स्व्दुछ्लाखांसे भी बादशाहकी मन्शाके सुवचाफिक काम न हुआ. । तब विक्रसी १६६८ हि० १०२० न इं १६११ में अव्दछाखांको . वाद्शाहने चार ठछाख ( ४०००००) रु० देकर गुजरातकी सूवेदारीपर भेजा च्यौर मेवाड़ ही की ठड़ाई पर उसके एवज् राजा बासू ( १ ) मुकु्रर होकर रवाना-कियागया. । (१ ) राजा बामू तेवर राजपृत पंजावके पहाड़ी जिलेंमे याम नूरपुरका राजा था जो इलाके | जालन्थर जल कागड़ामें गिनाजाता हे.-- इनका कुछ तवारीखी हाल नूरपुरके पुरोहित न सुखानन्दके कागूजासे मालूम हुआ. जो विक्रसी १९४१५ हि० १३०१ न ई० १८८४] में यहां ( उदयपुर ) आया था... उप्त पुरोहितके पास एक ताम्रपत्र भी महाराणा अमरसिंहके समय चिक्रमी १६६१९ श्रावण कृष्ण ९ हिं० १०२१ ता० २३ जमदियुल अव्यछ इ० १६५२ ता० १३ जुलाई का हैं. जिसकी नकूल तारीरवी अहवालके साथ नीचे लिखीजाती है- राजा ब्लीपने जव टिछीकी राजधानी छूटी और उनके पुत्र जेतपाल भेटने नूरपुरको अपनी राजधानी वनावा उससे २४ यों पीट्ीमें राजा वासू हुआ जो वाव्शाह जहांगोरके भेजनेसे अपने प्रधान पुरोहित व्यास समेत चित्तोद़ आया. उस समय राजा वासूने महाराणा अमर सिह्से एक मृतिं. जें। अप नुरपुरके फिलेमें श्रजराज सामीके नामसे प्रतिद और मीरां वाइकी पूज्ीहुई चतान हु. मागी. इतपर सहाराणाने उनके प्रयान पुरोहित व्यासकों वह मूर्ति एक याम लमत जिसका ताय्पत्र नीवे लिखाजायगा संकल्प करके देदी इससे मालूम होता है- कि महा- राणा अमरधिहसे राज्ञा वास मिलगया था राजा वासृका घटा जगतसिंद्॒ बड़ा प्रतापी हुआ. जो वादशाहोंसे अकसर लड़ता रहा इसके कुद्नुमें कई लाखका मुल्क होगया था. यह जगत््सिंह किसी साधूके कहनेते हिमालयर्मे जाकर गलगया जगनमिंहस छठी पीढ़ीसिं गजा वोरतलिंहके समयमें राजा रणजीतसिंह सिक्खने इनका बहुतसा मुझ छीन लिया चरिक थाखित लाहोरमें उसे बुलाया ओर कद करके किला नूरपुर भी लेखिया वीरसिंदने कुंडसे छूटने वाद कश्वार हमले किये लेकिन राजधानी हाथ न आई. हालके राजाके कुब्नुमे दस वारह हजार सालाना आमडनीकी जागीर रहगई है और नूरपुर से आध मिठके फासिलेपर खुश नगरमसे उनका निवास है ं बिक्रसी १९१४ हिं० १९७४ ले है १८५७] के गद्र बाद सर्कार अग्रेजीने किले नुस्पुस्को तोड़कर आधा किला ओर कुछ वाग़बगीचा फी वर्तमान राजा जशवंतसिंहको देदिया. ं १ राजा दीप ९ जेतपाल भेट ३ त्रिपाठ ४ बुधपाल ४५ जरीपत ६ जयपाल न झथ यिनननण न िनिििरमलनसरटसिराथया - नलनटरपससांयस्मरमणामि द्न अन्थ यय थाना .म्यायर अप नद्िनय्नयटययाान यय्यययय रस दिन बन भजन जड़नययरयययययययद्र जन थे चर ही 1 1 पर भ 1 1 के ७ सकूनी ८ जगरथ राम १० गोपाल १9 अर्जुन १२ विद्वारय १३ झगड़मछ १४ ं ढ् 1 राम २ १७ कीरत १६ घोरवो १७ जसता १८ कैलाश १९ नागा २० प्थ्वीमछ २१ । भीलो २२ बस़ूतमछ २३ पहाइमछ २४ बासू २५ जगत्सिंह २६ राजरूप २७ मानधाता टू २८ दयाघाता २९ छथ्वीसिंह २० फुल्हिंह ३9 वोरसिंह ३२ यशवन्तसिंह पी ्िः कसर कस मिस सिरयकफ्लकादिसय पक सफरस्ससरससरसरस्सलट अपर समर ।
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