साम्यवाद का बिगुल | Samyavad Ka Bigul

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Samyavad Ka Bigul by आचार्य नरेन्द्र देव जी - Aacharya Narendra Dev Jiगोविन्दसहाय - Govind Sahayजयप्रकाश नारायण - Jai Prakash Narayanदामोदर स्वरुप सेठ - Damodar Swaroop Sethश्री प्रकाश - Sri Prakashश्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

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जयप्रकाश नारायण - Jai Prakash Narayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ का कानून ऐसा था कि कपड़े के तथा अन्य कारखानों में काम करने वालों से ६० घन्टा हफ्ता काम लिया जा सकता था । झन्य सभ्य देशों में आ्रायः ४८ घरटे का नियम है। अब शमोते शमसाते सरकार ने यहां यह कायदा बनाया है कि ५४ घण्टे से ज्यादा काम लेना मजदूरों के साथ हैवानी बताव करना है। सारे भारत के लिये यही कादून लागू होगा । इसीलिये किसी पूँजी वाले के मुनाफे सें घाटा न होगा पर झाहमदाबाद के मिलमालिक मजदूरी घटाने जा रहे हैं । यही दशा सब जगह है। छाजकल जर्मीदार क्या करता है? अगर जमींदार न रहे तो किसी का क्या बिगड़ जावेगा पर बह चैठा बैठा मुफ्त में किसान की गाढ़ी कमाई में हिस्सा लेता है। खुली लगान तो लेता ही है छिपी लगान--हर चक्त--भी लेता है हरी बेगारी नजराना यह सब लेता है। यह सब खुली छूट है। एक शोर वह लोग हैं जिनके महतलों में एक कुटुस्व क्या सौ छुट्टम्व समा जावे दूसरी ओर वह लोग है जो टूटी मकोपड़ियों में या सड़क की पटरियों पर माघ-पूस की रात चिता देते हैं। एक ओोर वह लोग है जिनके पास इतना रुपया है कि वह उसे खच करना नहीं जानते दूसरी छोर वह लोग हैं जो दूसरे-तीसरे वक्त आधा पेट अन्न पाते हैं और एक दूसरे की देह से सिमट कर जाड़ा कावते हैं । किसी के लड़के को चाहे वह जन्म से ही मूखें हो पढ़ाने में हजारों रुपये ख्चे होते हैं किसी का तेज और बुद्धिमान लड़का वजीफे और फीस के लिये इधर उधर दौड़ कर हाय करके वैठ रहता है। अमीर के लिये धर्म दूसरा है कानून दूसरा है गरीब के लिये धम और कानून की दूसरी ही सूरत हो जाती है । समाजवाद इस वात को चदलना चाहता है। उसका सिद्धान्त है कि श्रत्येक मनुष्य अपनी शक्ति और योग्यता भर परिश्रम करे कोई बैठा बैठा हृरामखोरी न करे और सबको




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